उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन के नए आयाम, प्रशासकीय और वित्तीय अधिकारों का विस्तार: मुख्य सचिव राधा रतूड़ी
उत्तराखंड में राज्य आपदा मोचन निधि (एसडीआरएफ) के तहत मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों के प्रशासकीय और वित्तीय अधिकार बढ़ा दिए गए हैं। मंडलायुक्त पांच करोड़ रुपये तक और डीएम एक करोड़ तक की योजनाओं को अपने स्तर पर मंजूर कर सकेंगे। बीते बुधवार को राज्य सचिवालय में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में हुई राज्य कार्यकारिणी समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। साथ ही एसडीआरएफ व राज्य आपदा न्यूनीकरण के तहत विभागों के 287.48 करोड़ के प्रस्तावों पर मुहर लगी। माना जा रहा है कि मंडलायुक्त और डीएम के वित्तीय व प्रशासकीय अधिकार बढ़ने से आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण के कार्यों में तेजी आ सकेगी।
मुख्य सचिव ने नैनीताल के हल्द्वानी के गौलापार में स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय खेल परिसर की सुरक्षा के लिए और बाढ़ सुरक्षा कार्यों के निर्णय के संबंध में तत्काल बैठक आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने पेयजल निगम, पीएमजीएसवाई, लोक निर्माण विभाग व यूपीसीएल को एसडीआरएफ से वित्तीय वर्ष 2024-25 में आपदा से क्षतिग्रस्त परिसम्पत्तियों के पुनर्निर्माण के लिए 95 करोड़ की धनराशि आवंटित करने के प्रस्ताव को अनुमोदन दिया।
बैठक में प्रदेश में बाढ़ और भूस्खलन से बचाव के लिए कई प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। देहरादून के सहस्त्रधारा मोटर मार्ग के चार किमी स्पान स्टील पुल बनाने, नौगांव के पत्थरगाड-नंदगांव मोटर मार्ग के एक किमी सुरक्षात्मक कार्य करने, एसडीएमएफ के तहत पौंटी-मोल्डा मोटर मार्ग के दो किमी में सुरक्षात्मक कार्य करने,भीमताल में अमृतपुर स्थित डहरा पुल का सुरक्षात्मक कार्य, नैनीताल बाइपास मोटर मार्ग में ड्रेनेज सुधारीकरण एवं सुरक्षात्मक कार्य, नंदप्रयाग-घाट-सुतोल केनाल मोटर मार्ग का सुरक्षात्मक कार्य,केदारनाथ धाम पैदल यात्रा मार्ग, छोटी लिंचोली, कुबेर ग्लेशियर, छानी कैंप में हुए भूस्खलन व बादल फटने से प्रभावित पैदल मार्ग का सुरक्षात्मक कार्य, मोरी विकासखंड में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के नीचे बाढ़ सुरक्षा कार्य, सितारगंज में राज्य स्तरीय इंटीग्रेटेड एक्वा पार्क की सूखी व बेगुल नदी से सुरक्षा के लिए बाढ़ सुरक्षा योजना के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।