Exclusive: प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में फर्जीवाड़ा, जाली मेडिकल सर्टिफिकेट जारी; ऐसे हुआ खुलासा

दून अस्पताल में अब फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने का मामला सामने आया है। एंटीरेट्रोवाइरल उपचार इकाई (एआरटी) में तैनात एक चिकित्सक ने फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट भी जारी किए हैं। इसमें एक वार्ड बॉय के संलिप्त होने की भी बात सामने आ रही है। अस्पताल प्रबंधन ने तत्काल प्रभाव से दोनों को हटा भी दिया है। मामले की जांच कर आगे की कार्रवाई भी की जाएगी।

इस मामले का खुलासा तब हुआ जब एक मरीज का प्रमाण पत्र अस्पताल वापस आया व उसने प्रमाण पत्र को स्वीकार न किए जाने की बात भी कही। जब प्रमाण पत्र की जांच की गई तो तब पता चला कि अस्पताल के एआरटी इकाई में तैनात चिकित्सक ने यह प्रमाण पत्र जारी किया है। जानकारी के मुताबिक एक व्यक्ति ने पूर्व में पैसे देकर चिकित्सक से फिटनेस मेडिकल सर्टिफिकेट को बनवाया था। जहां पर उसको वह मेडिकल जमा भी करवाना था, वहां के अधिकारियों ने स्वीकार करने से इन्कार कर दिया व मेडिकल सही न होने की बात भी कही।

इसके बाद जब वह मेडिकल लेकर अस्पताल आया तो मेडिकल के फर्जी होने की बात भी सामने आई। चिकित्सक के साथ अस्पताल का ही एक वार्ड बॉय शामिल था। यह पूरा मामला प्रकाश में आने के बाद दोनों को एआरटी सेंटर से ही हटा दिया गया है। अस्पताल प्रबंधन मामले की उच्च स्तरीय जांच भी कराएगा।

2 माह पहले ही चिकित्सक की एआरटी में की गई थी तैनाती

अस्पताल प्रबंधन की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक चिकित्सक को नवंबर माह में ही दून मेडिकल कॉलेज के कम्यूनिटी मेडिसन से एआरटी सेंटर में तैनात भी किया गया था। पूर्व में एआरटी सेंटर में चिकित्सक न होने की वजह से संबंधित चिकित्सकों को यहां पर तैनात भी किया गया था। वे एचआईवी रोगियों की जांच भी कर रहे थे।

सिर्फ फैकल्टी को ही मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने का भी अधिकार है

राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में सिर्फ फैकल्टी ही किसी भी प्रकार का मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने के लिए अधिकृत भी है। ऐसे में इस तरह के सर्टिफिकेट सामने आने से कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं।

सही मेडिकल सर्टिफिकेट ऐसे बनता है

दून अस्पताल में लोग मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने के लिए भी आते हैं। इसके लिए उन्हें सबसे पहले ओपीडी का पर्चा भी बनवाना पड़ता है। इसके बाद संबंधित व्यक्ति को अनिवार्य रूप से फिजिशियन व नेत्र रोग विशेषज्ञ को भी दिखाना पड़ता है। वहां आवश्यक जांच पूरी होने के बाद चिकित्सक ओपीडी पर्चे पर ही अपनी रिपोर्ट भी लिख देते हैं। यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही कोई भी व्यक्ति मेडिकल सर्टिफिकेट को प्राप्त कर सकता है।

दून मेडिकल काॅलेज की प्राचार्य डॉ. गीता जैन ने बताया फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने का मामला सामने आने के बाद संबंधित चिकित्सकों व वार्ड बॉय को एआरटी सेंटर से हटा भी दिया गया है। इस पूरे मामले की जांच भी की जा रही है। एआरटी सेंटर में जल्द ही नए चिकित्सक की तैनाती भी की जाएगी।