राज्यसभा में आयुर्वेद और योग को बढ़ावा देने की मांग—सांसद डॉ. नरेश बंसल ने उठाया मुद्दा

राज्यसभा में भाजपा के राष्ट्रीय सह-कोषाध्यक्ष और सांसद डॉ. नरेश बंसल ने देश में आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्सा के संवर्धन का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने इसे जनहित व देशहित से जुड़ा विषय बताते हुए कहा कि भारत की स्वदेशी चिकित्सा पद्धतियाँ केवल इलाज नहीं, बल्कि रोगों की रोकथाम में भी अत्यंत प्रभावी भी हैं।

डॉ. बंसल ने बताया कि आयुष प्रणाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में विश्वभर में पहचान बना रही है, फिर भी इसे विदेशी चिकित्सा प्रणालियों के बराबर संसाधन व मान्यता प्राप्त नहीं है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जहां केंद्र सरकार का कुल स्वास्थ्य बजट 1 लाख करोड़ रुपये है, वहीं आयुष मंत्रालय को मात्र 4 हजार करोड़ रुपये का बजट मिलता है, जो इसकी प्रगति में बड़ी बाधा है।

सदन में बात रखते हुए डॉ. बंसल ने सरकार से 7 महत्वपूर्ण कदम तुरंत उठाने की मांग की—

  1. आयुष्मान भारत योजना में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा को शामिल किया जाए।
  2. ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 तथा ड्रग एंड मैजिक एक्ट 1954 को समाप्त कर यूनिफॉर्म हेल्थकेयर कोड लागू किया जाए।
  3. आयुर्वेदिक उद्योग, स्टार्टअप्स एवं रिसर्च को विशेष सरकारी सहायता दी जाए।
  4. आयुष पद्धतियों का बजट वर्तमान आवश्यकता को देखते हुए कम से कम पाँच गुना बढ़ाया जाए।
  5. सभी मेडिकल कोर्स का प्रथम वर्ष समान रखा जाए, ताकि छात्रों को सभी चिकित्सा पद्धतियों का मूल ज्ञान मिले।
  6. आयुष डॉक्टरों को एक्स-रे, एमआरआई, सर्जरी और डिलीवरी की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
  7. कक्षा 10 तक आयुर्वेद और योग को अनिवार्य विषय बनाया जाए।

डॉ. नरेश बंसल ने सदन से अनुरोध किया कि अब समय आ गया है कि भारत अपनी पारंपरिक चिकित्सा विरासत को वह सम्मान व संसाधन प्रदान करे, जिसकी वह सदियों से हकदार रही है।