Congress : बुधवार को कांग्रेस मुख्यालय देहरादून में प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी एवं मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी की प्रेस वार्ता।

दसौनी ने कहा की बद्रीनाथ धाम के नारायणपुरी में व्यापारियों और पुरोहितों के लिये सरकार द्वारा ना कोई कंपनसेशन

प्रेस वार्ता में मथुरा दत्त जोशी ने बताया कि किस तरह से बद्रीनाथ धाम में व्यापारियों और तीर्थ पुरोहितों के साथ धामी सरकार अत्याचार कर रही है। और बिना नोटिस के वहां पीढ़ियों से रह रहे पुरोहित और व्यापारियों की दुकान और मकान बिना उन्हें सूचना दिए तानाशाही और दमनकारी नीति के तहत तोड़े जा रहे हैं। जोशी ने कहा की यह कार्य बद्रीनाथ मास्टर प्लान के तहत किया जा रहा है। परंतु यदि इस प्लान के तहत सरकार को भूमि अधिग्रहण की जरूरत थी। तो उससे पहले दुकान व मकान के मालिको को कॉन्फिडेंस में लेने की जरूरत थी। और उन्हें उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए था।

जोशी ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार द्वारा धर्म के ध्वज वाहको के हितों पर कुठाराघात करते हुए उनके सामने राटी-रोजी का गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। जोशी ने कहा कि सरकार पहले पण्डा पुरोहितों को पुर्नवासित करना चाहिए था, उन्हें सही स्थान पर दुकान देकर उनकी रोजी- रोटी का इंतजाम करना चाहिए था। ऐसा न करके भाजपा की सरकार ने पण्डा पुरोहितों के सामने गंभीर संकट खड़ा कर दिया है।

दसौनी ने कहा की बद्रीनाथ धाम के नारायणपुरी में व्यापारियों और पुरोहितों के लिये सरकार द्वारा ना कोई कंपनसेशन, ना कोई मुआवजा और ना ही विस्थापन की कोई नीति आयी हैं। ऐसे में पिछले डेढ़ महीने से बद्रीनाथ का तीर्थ पुरोहित समाज और व्यापार सभा मास्टर प्लान संघर्ष समिति के तहत कार्मिक अनशन कर रहे हैं, और 14 अगस्त 2023 से तो उन्होंने आमरण अनशन भी शुरू कर दिया है।

 

दसौनी ने कहा की संघर्ष समिति की प्रमुख मांग है की धामी सरकार अपनी विस्थापन नीति स्पष्ट करें उसी के तहत 11 बिंदुओं का एक मांग पत्र जारी करते हुए मास्टर प्लान संघर्ष समिति ने धामी सरकार से अति शीघ्र निर्णय लेने के लिए कहा है।

 

दसौनी ने जानकारी देते हुए कहा की नवंबर में बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद सभी व्यापारी और पंडा पुरोहित नीचे उतर आते हैं और अप्रैल मई में फिर बद्रीनाथ धाम पहुंचते हैं। कांग्रेस अनुसार शासन ने इसी का फायदा उठाते हुए फरवरी, मार्च में उनके घर ,मकान ,दुकान सब ध्वस्त कर दिए। कांग्रेस नेताओं ने धामी सरकार से जल्द से जल्द विस्थापितों की अस्थाई व्यवस्था और विस्थापन नीति को कुछ स्पष्ट करने की मांग की है।