माणा कैंप में हिमस्खलन ने रैणी आपदा की याद दिलाई, क्षेत्रवासियों में दहशत

माणा कैंप के समीप हाल में हुए हिमस्खलन ने 2021 की रैणी आपदा की दर्दनाक यादें भी ताजा कर दी हैं। 7 फरवरी 2021 को ऋषिगंगा के मुहाने पर हिमस्खलन के कारण रैणी घाटी में भारी तबाही भी मच गई थी। 4 वर्ष बाद भी रैणी और तपोवन क्षेत्र के लोग इस आपदा के खौफनाक मंजर को नहीं भूल पाए हैं।

2021 की 7 फरवरी को सुबह करीब 9 बजे ऋषिगंगा के उद्गम स्थल में ग्लेशियर टूटने से बाढ़ आ गई थी। इसके कारण नदी किनारे मौजूद लोग बाढ़ की चपेट में भी आ गए। इस आपदा में 206 लोगों की जान गई थी, और ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना भी बह गई थी। वहीं, एनटीपीसी की तपोवन जल विद्युत परियोजना भी पूरी तरह तबाह भी हो गई थी। परियोजना की डैम साइट की सुरंग मलबे से भर गई, जिसमें काम कर रहे 139 श्रमिकों की जान ही चली गई। इसके अलावा नदी किनारे काम करने गए कई ग्रामीण इस आपदा का शिकार भी हुए थे।

शुक्रवार को माणा में हिमस्खलन की सूचना मिलते ही रैणी क्षेत्र के लोगों के दिमाग में उस दर्दनाक हादसे की तस्वीरें एक बार फिर से तैरने लगीं।

सुमना में भी हिमस्खलन ने किया था भारी नुकसान इसके अलावा, 23 अप्रैल 2021 को चीन सीमा क्षेत्र में सुमना-रिमखिम सड़क पर भारी हिमस्खलन ने भी अपना कहर बरपाया था। सुमना से करीब 4 किलोमीटर दूर बीआरओ के मजदूरों के कैंप में हिमस्खलन के कारण 8 मजदूरों की मौत हो गई थी। हालांकि, सेना व आईटीबीपी ने मिलकर 384 लोगों को सुरक्षित निकाला था। उस समय भी भारी बर्फबारी के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कत आई थी। मजदूर सड़क निर्माण कार्य में जुटे हुए थे, और खराब मौसम के कारण वे अपने कैंप में ही फंसे हुए भी थे।