बदरीनाथ हाईवे पर दरकते पहाड़, यात्रियों को सफर करना हुआ जोखिम भरा

चमोली। इस बार की भारी बारिश ने चमोली जनपद में बदरीनाथ हाईवे को सबसे ज्यादा नुकसान भी पहुंचाया है। कभी भूधंसाव तो कभी भूस्खलन से हाईवे पर लगातार संकट भी बना हुआ है। नंदप्रयाग, पीपलकोटी, मैठाणा व हेलंग से पैनी मोड़ तक का इलाका सबसे खतरनाक स्थिति में ही है। यहां से गुजरते स्थानीय लोग और बदरीनाथ धाम व हेमकुंड साहिब के यात्री दरकती चट्टानों के बीच से होकर यात्रा करने को मजबूर भी हैं।

2018 से चल रही ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत गौचर से बदरीनाथ धाम तक अधिकांश चौड़ीकरण कार्य तो पूरा हो चुका है, लेकिन आपदाओं ने हाईवे की हालत ही बिगाड़ दी है। दूसरे चरण के तहत नाली निर्माण व सौंदर्यीकरण होना था, मगर फिलहाल कई हिस्सों में सड़क जर्जर भी हो चुकी है।

पीपलकोटी के भनेरपाणी क्षेत्र में लगभग 1 किलोमीटर लंबा हिस्सा भूस्खलन की चपेट में ही है। वहीं, हेलंग से पैनी मोड़ तक हाईवे धंस रहा है, जिससे वाहनों की आवाजाही बेहद मुश्किल भी हो गई है। गौचर के कमेड़ा, नंदप्रयाग, पीपलकोटी व हेलंग के पास लगातार पहाड़ी दरक रही है।

हाईवे की देखरेख की जिम्मेदारी एनएचआईडीसीएल के पास गौचर से हेलंग तक और बीआरओ के पास हेलंग से माणा तक भी है। एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक अजय बत्रा ने बताया कि

मैठाणा जैसे प्रभावित इलाकों में समतलीकरण व ट्रीटमेंट का काम किया जा रहा है। मौसम सामान्य होते ही हाईवे को दुरुस्त करने के प्रयास भी तेज़ किए जाएंगे।

खतरनाक भूस्खलन क्षेत्र

कमेड़ा, चटवापीपल, बंदरखंड, कालेश्वर, पर्थाडीप (नंदप्रयाग), पुरसाड़ी, मैठाणा, बाजपुर चाड़ा, भनेरपाणी, पाखी, टंगड़ी, पागलनाला, पातालगंगा, गुलाबकोटी, पैनी मोड़, जोगीधारा, हाथी पर्वत, टेय्या पुल, खचड़ा नाला, लामबगड़, रड़ांग बैंड व कंचन नाला।