हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से दूर होती हैं ये पांच परेशानियां

आज मंगलवार को हनुमान जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। हनुमान जी 8 चिरंजीवियों में से एक भी माने जाते हैं । श्री राम भक्त हनुमान थोड़ी पूजा से प्रसन्न भी हो जाते हैं। हनुमान जी की पूजा आराधना से भय भी दूर होता है और साथ ही सुख, शांति, आरोग्य और लाभ की प्राप्ति होती है। हनुमान जी की महिमा को देखते हुए तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की रचना भी की थी। इस चालीसा का नियमित या मंगलवार और शनिवार को पाठ करने के बहुत से चमत्कारी लाभ भी मिलते हैं। मंगल, शनि और पितृ दोषों से मुक्ति कि लिए भी हनुमान चालीसा का पाठ लाभकारी है। आज हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर भी भक्तों को हनुमान चालीसा का पाठ भी करना चाहिए।

ऐसे में यहां पढ़ें सम्पूर्ण हनुमान चालीसा।

दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज निजमनु मुकुरु सुधारि।

बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।। कंचन वरन विराज सुवेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै। शंकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग वन्दन।।

विद्यावान गुणी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।। प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। विकट रूप धरि लंक जरावा।। भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।।

लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।। रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।। सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा। नारद सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।। तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र विभीषन माना। लंकेश्वर भये सब जग जाना।। जुग सहस्र योजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।। दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।। सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना।।

आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।। भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।। संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।।

सब पर राम तपस्वी राजा। तिनके काज सकल तुम साजा। और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै।।

चारों युग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।। साधु-संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे।।

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस वर दीन जानकी माता।। राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुम्हरे भजन राम को भावै। जनम-जनम के दुख बिसरावै।। अन्त काल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।

और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख करई।। संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।। जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहिं बंदि महा सुख होई।।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।। तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।

दोहा

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

हनुमान चालीसा में हनुमान जी को अष्टसिद्धि और नवनिधि के दाता भी कहा गया है। जो भक्त नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, हनुमान जी उनकी हर मनोकामना को पूरी करते हैं चाहे वह धन संबंधी इच्छा ही क्यों न हो। यदि आपको कभी आर्थिक संकट का सामना करना पड़े तो अपने मन में हनुमान जी का ध्यान करके हनुमान चालीसा का पाठ करना भी शुरू कर दीजिए। ऐसा करने से आपकी आर्थिक चिंताएं धीरे-धीरे ही दूर हो जाएगी। पाठ करते समय पवित्रता का ध्यान रखना अति आवश्यक भी है।

हनुमान जी को अत्यंत निडर और बलशाली माना गया है। राम भक्त हनुमान जी बुरी आत्माओं का नाश कर के लोगों को उससे मुक्ति भी प्रदान करते हैं। हनुमान चालीसा की एक चौपाई है ‘भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे, इस दोहे से बताया गया है कि जो व्यक्ति नियमित हनुमान चालीसा का पाठ करता है उसके आस-पास भूत-पिशाच व दूसरी नकारात्मक शक्तियां नहीं आती हैं। जिन लोगों को रात मे डर लगता है या फिर डरावने सपने आते रहते हैं, उन्हें रोज ही हनुमान चालीसा का पाठ भी करना चाहिए।

हनुमान जी परम पराक्रमी व महावीर हैं इस बात का उल्लेख रामचरित मानस से लेकर हनुमान चालीसा तक में किया गया है। हनुमान चालीसा में लिखा भी गया है” नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरन्तर हनुमत बीरा।। ”इनके ध्यान से शरीर निरोगी व बलवान बनता है। जो लोग अक्सर बीमार रहते हैं या काफी उपचार के बाद भी जिनका रोग दूर नहीं होता उन्हें नियमित हनुमान चालीसा का पाठ भी करना चाहिए।

‘विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।। ‘हनुमान चालीसा की इस चौपाई से स्पष्ट है कि जो भक्ति-भाव सहित हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं उनमें भी हनुमान जी यह गुण भर देते हैं। हनुमान जी की कृपा पाने के लिए छात्रों को नियमित हनुमान चालीसा का पाठ करना ही चाहिए। छात्र जीवन में हनुमान चालीसा का पाठ करने से स्मरण शक्ति भी बढ़ती है और शिक्षा के क्षेत्र में कामयाबी भी मिलती है।

एक बार शनिदेव ने हनुमान जी को वचन दिया था कि जो भी हनुमान जी की पूजा करेगा उसे शनिदेव कभी भी कष्ट नही देंगे। इसलिए शनि की साढ़े साती या ढैया के बुरे प्रभाव से बचने के लिए हनुमान जी की पूजा व हनुमान चालीसा का पाठ लाभदायक भी है।