सिलक्यारा सुरंग में पड़े हजारों टन मलबे को हटाने के लिए अब कार्यदायी संस्था की ओर से एक आस्ट्रेलियन कंपनी से कैविटी ट्रीटमेंट डिजाइन तकनीक की सहायता ली जाएगी।

सिलक्यारा सुरंग में पड़े हजारों टन मलबे को हटाने के लिए अब कार्यदायी संस्था की ओर से एक आस्ट्रेलियन कंपनी से कैविटी ट्रीटमेंट डिजाइन तकनीक की सहायता भी ली जाएगी। कार्यदायी संस्था के अफसरों का कहना है कि मलबा हटाने के दौरान किसी भी प्रकार का जोखिम नहीं लिया जा सकता, इसलिए मलबा हटाने की प्रक्रिया डिजाइन तकनीक की रिपोर्ट के बाद ही शुरू भी की जाएगी।

गत वर्ष नवंबर महीने में सिलक्यारा सुरंग के निर्माण के दौरान करीब 65 मीटर हिस्से में भारी मलबा भी आ गया था, जिससे सुरंग में 41 लोग भी फंस गए थे, जिन्हें 17 दिन बाद सुरक्षित बाहर निकाला भी गया था। सुरंग हादसे के दौरान अंदर करीब 65 मीटर हिस्से में हजारों टन मलबा भी आ गया था, जिसे हटाना अब कार्यदायी संस्था नवयुगा के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी है।

एक सप्ताह पूर्व एसडीआरएफ के जवानों ने सुरंग के अंदर डिवाटरिंग सहित जरूरी कार्यों की जानकारी भी जुटाई, लेकिन सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम ही नहीं होने के बाद एसडीआरएफ के जवानों ने भी सुरंग में जाना बंद ही कर दिया है। हालांकि, वहां पर एनएचआईडीसीएल के अधिकारी निर्माण कार्य दोबारा से शुरू करने के लिए स्थलीय निरीक्षण भी कर रहे हैं।

मलबा हटाते हुए कोई भी हादसा न हो, इसके लिए कार्यदायी संस्था नवयुगा कंपनी की ओर से आस्ट्रेलिया की एक कंपनी से मलबे के निस्तारण के लिए कैविटी ट्रीटमेंट डिजाइन तकनीक की रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट आने के बाद ही सुरंग से मलबा हटने का काम भी शुरू हो पाएगा। रिपोर्ट आने के बाद ही मलबे के निस्तारण सहित सुरंग के निर्माण का कार्य दोबारा से शुरू हो पाएगा।