सावन के पवित्र मास के अवसर पर बालेश्वर महादेव के मंदिर में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की उमड़ती भीड़

सावन के पवित्र मास में बालेश्वर महादेव के मंदिर में जलाभिषेक को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। श्रद्धालु रामगंगा के पावन तट पर स्नान कर उसके जल से भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं।

 

शिव ने प्रकट होकर बाली को बाल रूप में दर्शन दिए। इसके बाद वह स्वयंभू बाल शिवलिंग में अंतर्ध्यान हो गए। तभी से यह शिवालय 1008 बालेश्वर या बालीश्वर के नाम से बाल तीर्थ कहलाया। पौराणिक काल से ही यहां वर्ष भर में तीन मेले लगते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी भी पर्व पर यहां दर्शन करने मात्र से काशी के बराबर फल प्राप्त होते हैं।

इस माह शिवलिंग में जलाभिषेक के साथ 108 बेलपत्र चढ़ाने से बालेश्वर भगवान प्रसन्न होते हैं। चातुर्मास में भगवान विष्णु शयन में चले जाते हैं। ऐसे में भोलेनाथ की आराधना से मानव के सारे संताप दूर हो जाते हैं। स्कंद पुराण में निम्न श्लोक से बालेश्वर भगवान की महिमा का इस तरह किया गया है। समर्च्य विधिवत्तत्र त्रियं प्राप्नोति मानव:। तत: क्रांतया जले पुण्ये बालतीर्थ मिति स्मृतम, बालीश्वरस्य देवस्य पार्श्वे तीर्थित्तमे शुभे, नि मज्य मानवस्तल माघ फलं लभेत।