सतीकुंड एक बार पुनः अपनी भव्यता, दिव्यता के लिए दुनियाभर में जाना और पूजा जाएगा।

सतीकुंड एक बार पुनः अपनी भव्यता, दिव्यता के लिए दुनियाभर में जाना और पूजा जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इसके विकास की घोषणा कर चुके हैं। इसे विकसित करने के लिए कंसल्टेंट कंपनी की ओर से मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है। हरिद्वार कॉरीडोर के विकास का जो खाका तैयार किया जाएगा इसमें सतीकुंड प्राथमिकता में है। इससे उम्मीद जगी है कि सतीकुंड तक जलधारा पहुंचाने की योजना जल्द मूर्त रूप लेगी। बता दें कि मां भगवती के 52 सिद्वपीठों का उद्गम स्थल कहे जाने वाला भगवान शिव के ससुर राजा दक्ष की नगरी कनखल में स्थित हरिद्वार के सतीघाट के पुननिर्माण की योजनाएं कई बार बनीं, लेकिन इन्हें धरातल पर नहीं उतारा जा सका।

 

इस बार जब सीएम ने हरिद्वार को बड़ी सौगात देते हुए पौराणिक सती कुंड के जीर्णोद्धार की घोषणा की तो फिर से जलधारा कुंड तक लाने की आस बंधने लगी है। जिस हवन कुंड में देवी सती ने आहुति दी थी उसके जीर्णोद्धार से तीर्थाटन को बढ़ावा भी मिलेगा। स्थानीय निवासियों को भी इसका लाभ होगा। सीएम पुष्कर सिंह धामी जब हरिद्वार हरकी पैड़ी पर गंगा आरती करने 22 जनवरी को पहुंचे तो उन्होंने डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल को बुलाकर निर्देशित किया था कि सती कुंड का काम तुरंत शुरू किया जाए। उन्होंने कहा था कि इस स्थल पर ऐसी धार्मिक व्यवस्था बनाई जाए कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो और वे यादगार भक्ति संदेश भी लेकर जाएं।

 

सतीकुंड तक जलधारा लाने में तमाम रोड़े हैं। इसमें प्रमुख रूप से उद्गम स्थल तक जलधारा के जो कुछ अवशेष थे वहां कब्जा होता गया। कई आवासीय भवन, बाग और बगीचे विकसित हो गए। आज जलधारा का कोई विशेष निशान तक नहीं हैं। कब्जा हटाना फिर से बाधक बनेगा। हालांकि, संभव है कि प्रशासन जलधारा के लिए सख्त रवैया अपनाए।

 

जिलाधिकारी हरिद्वार, धीराज सिंह गर्ब्याल ने कहा मास्टर प्लान तैयार होते ही शासन को भेजा जाएगा। सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल होने के चलते इसका विकास चहुंमुखी होगा। स्थानीय लोगों और स्टेक होल्डर से वार्ता की जाएगी। कोई बाधा नहीं है, जहां पर भी अतिक्रमण होगा उसे हटाने के लिए पहले नोटिस दिए जाएंगे। आवश्यकता पड़ी तो सख्त रुख भी अपनाया जाएगा। जलधारा को कुंड तक पहुंचाकर भव्य सौंदर्यीकरण किया जाएगा।