कनकचौरी से मंदिर तक बनने वाले रोपवे की लंबाई 1.4 किमी होनी है, उत्तर भारत में भगवान कार्तिकेय का एकमात्र मंदिर रुद्र्रयाग जनपद के क्रौंच पर्वत पर स्थित है, जिसे कार्तिक स्वामी भी कहा जाता है।

कनकचौरी से मंदिर तक बनने वाले रोपवे की लंबाई 1.4 किमी होनी है। रोपवे बनने से कनकचौरी से 10 मिनट में ही कार्तिक स्वामी पहुंचा जा सकता है।

उत्तर भारत में भगवान कार्तिकेय का एकमात्र मंदिर रुद्र्रयाग जनपद के क्रौंच पर्वत पर स्थित है, जिसे कार्तिक स्वामी भी कहा जाता है। इस मंदिर तक श्रद्धालुओं को पहुचने को आसान बनाने के लिए इसे रोपवे से जो़ड़ा जाएगा। मंदिर के बेस प्वाइंट कनकचौरी से कार्तिक स्वामी तक 1.4 किमी लंबा रोपवे बनेगा, जिसके लिए प्री-फिजिबिलटी सर्वेक्षण भी हो चुका है। अधिकारियों के अनुसार आगामी सितंबर तक रोपवे निर्माण की अंतिम डीपीआर भी बन जाएगी।

जनपद चमोली और रुद्रप्रयाग के 360 से अधिक गांवों के आराध्य के रूप में पूजनीय भगवान कार्तिकेय के दर्शनों के लिए वर्षभर श्रद्धालु कार्तिक स्वामी पहुंचते हैं। मंदिर पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को कनचौरी से लगभग 4 किमी की चढ़ाई तय करनी होती है। लेकिन अब, मंदिर को रोपवे से जोड़ने की कार्ययोजना बन चुकी है।

 

इसके तहत पर्यटन विभाग द्वारा कनकचौरी से मंदिर क्षेत्र तक प्रारंभिक चरण में प्री-फिजिबिलटी (pre-feasibility) सर्वेक्षण किया जा चुका है। सर्वेक्षण की रिपोर्ट भी रोपवे निर्माण के लिए सही पाई गई है। इसी रिपोर्ट के आधार पर अंतिम डीपीआर बनाई जा रही है, जिसे सिंतबर तक पूरा कर दिया जाएगा। रोपवे के लिए वन विभाग से भूमि अधिग्रण, पेड़ों की गिनती, छपान और अन्य कार्रवाई समयबद्ध पूरी की जाएंगी।

कनकचौरी से मंदिर तक बनने वाले रोपवे की लंबाई 1.4 किमी होनी है। रोपवे बनने से कनकचौरी से 10 मिनट में ही कार्तिक स्वामी पहुंचा जा सकता है।

 

रिपोर्ट के आधार पर डीपीआर बनाई जा रही है, जिससे आगामी सितंबर माह तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इधर, कार्तिक स्वामी मंदिर समिति के अध्यक्ष ने बताया कि मंदिर तक सुविधाएं उपलब्ध होने से तीर्थाटन के साथ रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा।