अल्मोड़ा लोकसभा सीट से तीन बार सांसद रहें हरीश रावत को आज भी 1991 के चुनाव में मिली हार की कसक है, हरीश रावत चुनाव को जीत जाते तो कैबिनेट मंत्री होता I

अल्मोड़ा लोकसभा सीट से तीन बार सांसद रहें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को आज भी 1991 के चुनाव में मिली हार की कसक है। यदि हरीश रावत इस चुनाव को जीत जाते तो उनकी केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने की प्रबल संभावनाएं भी थीं।

 

हरीश रावत अल्मोड़ा सीट से वर्ष 1991 से 1999 की अवधि में हुए चार लोस चुनाव में पराजित रहे। पूर्व सीएम हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट में लिखा कि अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर और चंपावत की धरती को न मैं भूला हूं और न वे मुझे भूले हैं, लेकिन वर्ष 1991 में एक कसक रह गई कि मैं लोकसभा चुनाव हार गया था, नहीं तो मैं केंद्र में कैबिनेट मंत्री बनता।

 

अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र को कभी भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में अपना प्रतिनिधि बनाने का सौभाग्य ही नहीं मिल पाया है। इस क्षेत्र से प्रदेश के सीएम और कैबिनेट मंत्री के साथ कई बड़े पदों पर भी विराजमान रहे, मगर केंद्र सरकार में उनका चुना हुआ सांसद कैबिनेट मंत्री ही नहीं बन पाया।

 

अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र की जनता के पास सारी शिकायतें भूलकर ऐतिहासिक कमी को दूर करने का अवसर भी है। कांग्रेस के पास काम करने के लिए 4 जिलों में सक्षम विधायक व पूर्व विधायक हैं। उनमें मंत्री और सीएम बनने की क्षमता भी है।