केदारनाथ उप चुनाव में ऐश्वर्य और कुलदीप की भी असली परीक्षा

केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव कई मयानों में महत्वपूर्ण भी माना जा रहा है। खासकर सीएम धामी ने केदारनाथ उप चुनाव में जिस तरह से बगावत को बड़ी सूझबूझ से संभाला है, उसका पार्टी संगठन से लेकर विपक्ष के बीच भी एक बड़ा संदेश गया है।

ऐसे में अब उप चुनाव के लिए प्रबल दावेदारी कर रहे दो चेहरे कुलदीप रावत और ऐश्वर्या रावत की भूमिका न केवल पार्टी, बल्कि उनके भविष्य को लेकर भी अहम मानी जा रही है। चुनाव परिणाम से बीजेपी से ज्यादा दोनों नेताओं की अस्मिता जुड़ी है। उपचुनाव में जहां बीजेपी और कांग्रेस जान फूंके है, वहीं पार्टी प्रत्याशियों के अलावा कुछ उभरते नेताओं की साख से भी जुड़ा है।

केदारनाथ विधानसभा की बीजेपी विधायक रही दिवंगत नेता शैलारानी रावत की बेटी ऐश्वर्या ने इस चुनाव में दावेदारी भी की थी। इसी तरह दो चुनाव निर्दलीय लड़ने और अच्छे मत हासिल करने वाले कुलदीप रावत ने उप चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थाम लिया था। कुलदीप भी उपचुनाव में प्रबल दावेदारी भी ठोक रहे थे।

दोनों नेताओं की दावेदारी से बीजेपी में बड़ी बगावत की सुगबुगाहट भी चल रही थी, लेकिन राजनीतिक मुश्किलों में कुशल रणनीति से निर्णय लेने वाले मुख्यमंत्री धामी ने मामला भांपते ही दोनों युवा नेताओं को मनाने में सफलता भी हासिल कर ली। इससे पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनने के साथ ही विपक्ष के हाथ से बड़ा मुद्दा ही चला गया।

अब पार्टी प्रत्याशी के साथ ही पूर्व में दो चुनाव में बड़ा वोट बैंक हासिल करने वाले कुलदीप रावत की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। पार्टी की जीत और वोट प्रतिशत कुलदीप रावत के आगे का भविष्य भी तय करेगा, जबकि पूर्व विधायक शैलारानी रावत के वोट बैंक को बरकरार रखने की जिम्मेदारी उनकी पुत्री ऐश्वर्या की ही बन गई है।

खासकर शैलारानी को जिन क्षेत्रों से अच्छा वोट मिलता आ रहा, वहां से बीजेपी को ऐश्वर्या के मार्फत ज्यादा वोट की उम्मीदें हैं। बहरहाल, केदारनाथ उप चुनाव न केवल बीजेपी-कांग्रेस के लिए, बल्कि यहां से राजनीतिक भविष्य संवारने की ठान रहे इन युवा नेताओं के करियर की भी असली परीक्षा है। इसमें भी दो राय नहीं कि केदारनाथ उपचुनाव का परिणाम से ही इन दो नेताओं की भविष्य की भूमिका भी तय होगी, इसकी चर्चाएं भी होने लगी हैं।