वंदे मातरम कांग्रेस की धड़कन, इतिहास विकृत करना बंद करे भाजपा – गरिमा मेहरा दसौनी
देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया भी दी है। उन्होंने कहा कि भाजपा का यह आरोप कि कांग्रेस ने “वंदे मातरम” का अपमान किया, पूरी तरह तथ्यहीन व इतिहास के साथ छेड़छाड़ है।
गरिमा दसौनी ने कहा कि “हर कांग्रेसी, हर भारतीय वंदे मातरम को नमन भी करता है। यह गीत केवल कविता नहीं, बल्कि आज़ादी के आंदोलन की धड़कन भी है।” उन्होंने बताया कि वंदे मातरम पहली बार 1896 में कांग्रेस अधिवेशन में रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा गाया गया था — जब आरएसएस का नाम तक अस्तित्व में ही नहीं था।
उन्होंने कहा कि 1937 में कांग्रेस ने वंदे मातरम के पहले 2 पदों को राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया, ताकि हर धर्म व समुदाय के लोग इस गीत से एकता व सम्मान का भाव महसूस कर सकें। यह निर्णय विभाजन नहीं, बल्कि सर्वधर्म समभाव व समावेशी राष्ट्रवाद का प्रतीक था।
गरिमा ने प्रधानमंत्री के उस बयान पर भी निशाना साधा जिसमें उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 1937 में विभाजन की नींव भी रखी। उन्होंने कहा — “यह इतिहास नहीं, बल्कि राजनीतिक कल्पना ही है। विभाजन का कारण ब्रिटिश साम्राज्य की ‘फूट डालो व राज करो’ नीति और दो-राष्ट्र सिद्धांत था, न कि कांग्रेस का निर्णय।”
उन्होंने सवाल उठाया कि “जब कांग्रेस ‘भारत छोड़ो आंदोलन’, नमक सत्याग्रह और करो या मरो जैसे आंदोलनों में अग्रणी थी, तब आरएसएस कहाँ था?”
कांग्रेस ने देश की आज़ादी के लिए त्याग व बलिदान दिया, जबकि जो संगठन स्वतंत्रता संग्राम से दूर रहे, वे आज राष्ट्रवाद का प्रमाण पत्र बांट भी रहे हैं।
गरिमा दसौनी ने कहा कि सच्चा राष्ट्रवाद नारों में नहीं, जनता की सेवा में है। आज जब किसान, युवा व आम जनता समस्याओं से जूझ रहे हैं, तब 1937 की बहस को उठाना जनता का ध्यान भटकाने की राजनीति भी है।
उन्होंने कहा — “वंदे मातरम का अर्थ है — हे मातृभूमि, मैं तुझे नमन करता हूँ। चाहे कोई ‘जय हिंद’ कहे या ‘भारत माता की जय’, भाव एक ही है — देशभक्ति का। कांग्रेस ‘वंदे मातरम’ और ‘जन गण मन’ दोनों का समान सम्मान ही करती है।”
अंत में गरिमा ने कहा कि “कांग्रेस ने वंदे मातरम तब गाया था जब स्वतंत्रता शब्द कहना भी अपराध भी था। आज वही गीत हमारे दिलों की धड़कन है।”
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा — “जिन लोगों ने अपने मुख्यालय पर राष्ट्रीय ध्वज आज़ादी के 52 वर्ष बाद फहराया, वे आज राष्ट्रभक्ति पर कांग्रेस को सलाह दे रहे हैं।”