विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम और बद्रीनाथ के प्राचीन शिलालेखों के रहस्य से जल्द ही पर्दा उठेगा।

विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम और बद्रीनाथ के प्राचीन शिलालेखों के रहस्य से जल्द ही पर्दा उठेगा। इन शिलालेखों के जल्द अनुवाद होने की उम्मीद भी जग गई है। इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने एपिग्राफी शाखा लखनऊ को पत्र भी भेज दिया है।

 

जागेश्वर धाम स्थित महामृत्युंजय समेत कुछ और मंदिरों की दीवारों में प्राचीन लिपि उत्कीर्ण है। महामृत्युंजय मंदिर के दो विशालकाय शिलालेख अब पुरातात्विक संग्रहालय में संरक्षित हैं। इन शिलालेखों में उत्कीर्ण लिपि का अब तक अनुवाद नहीं हो पाया है। बद्रीनाथ धाम में भी शिलालेख में उत्कीर्ण प्राचीन लिपि लोगों के लिए भी रहस्य बनी हुई है। इसी को देखते हुए बीते दिनों एएसआई के अधिकारी ने एपिग्राफी शाखा को पत्र भेजकर जागेश्वर धाम और बद्रीनाथ धाम स्थित प्राचीन शिलालेखों में उत्कीर्ण लिपि का अनुवाद करने के लिए विशेषज्ञों की टीम भेजने का आग्रह किया गया है। रिसर्च प्रक्रिया पूरी होने के बाद एएसआई प्राचीन लिपि के हिंदी और अंग्रेजी अनुवाद को लोगों के लिए डिस्प्ले भी करेगी।

 

एएसआई के अधिकारियों के मुताबिक जागेश्वर धाम के मंदिरों की दीवारों पर उत्कीर्ण कुछ शिलालेखों का अनुवाद डॉ. डीसी सरकार भी कर चुके हैं। डॉ. डीसी सरकार की इंडिका बुक वह अनुवाद पूर्व में प्रकाशित भी हो चुकी है लेकिन मुख्य शिलालेखों का अनुवाद अब तक नहीं हो पाया है।

 

अल्मोड़ा। एएसआई ने जागेश्वर धाम और बद्रीनाथ धाम के शिलालेखों के अनुवाद की मांग को लेकर करीब दो साल पहले भी एक पत्र एपिग्राफी शाखा को भेजा गया था। व्यस्तता के कारण विशेषज्ञों की टीम यहां नहीं पहुंच पाई थी लेकिन अब जल्द उसके यहां पहुंचने की उम्मीद बताई जा रही है।