पदोन्नति में शिथिलता के नियम बदले, अब विभागाध्यक्ष 50% तक दे सकेंगे राहत
देहरादून: उत्तराखंड शासन ने सरकारी सेवकों की पदोन्नति में शिथिलता से जुड़े नियमों में एक बड़ा बदलाव करते हुए नई संशोधित नियमावली 2025 भी लागू कर दी है। कार्मिक और सतर्कता अनुभाग-2 की ओर से जारी इस नियमावली के तहत पदोन्नति प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुगम भी बनाया गया है।
नई व्यवस्था के अनुसार, यदि किसी विभाग में पदोन्नति के लिए निर्धारित योग्यता अवधि पूरी नहीं हो पा रही है, तो विभागाध्यक्ष अब आवश्यक सेवा अवधि में अधिकतम 50% तक की शिथिलता प्रदान भी कर सकते हैं। इसके लिए विभागाध्यक्ष की अध्यक्षता में बनी समिति की संस्तुति अनिवार्य ही होगी। समिति में नियंत्रक वित्त, कार्मिक प्रतिनिधि व विभागाध्यक्ष द्वारा नामित एक अधिकारी भी शामिल रहेगा।
शिथिलता केवल वरिष्ठता आधारित पदोन्नति पर ही लागू होगी और साथ ही, यदि किसी पद पर पदोन्नति के लिए अधीनस्थ सेवा में विभिन्न श्रेणियों का सम्मिलित अनुभव आवश्यक है, तो उस स्थिति में भी 50% तक की कमी को मंजूरी भी दी जा सकेगी।
दस्तावेज में दिए उदाहरण के अनुसार—यदि किसी उच्च पद के लिए 18 वर्ष का अनुभव भी जरूरी है, लेकिन किसी अधिकारी के पास 16 वर्ष का अनुभव है, तो कमी के 2 वर्ष तक शिथिलता भी दी जा सकेगी। हालांकि अधिकारी ने अधीनस्थ पदों पर न्यूनतम सेवा अवधि जरूर पूरी भी की होनी चाहिए।
सरकार का कहना है कि नए नियमों से पदोन्नति प्रक्रियाओं में हो रही देरी रुकेगी व योग्य अधिकारियों को समय पर प्रमोशन भी मिल सकेगा। सचिव शैलेश बगौली ने इसके आदेश भी जारी किए हैं।