ऑपरेशन कालनेमि: अब छद्म वेशधारियों पर लगेगा सख़्त कानून, गिरफ्तारी का रास्ता साफ
देहरादून। सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शुरू किए गए ऑपरेशन कालनेमि के तहत पकड़े जा रहे धोखेबाज़ों पर अब सिर्फ शांतिभंग की कार्रवाई ही नहीं होगी। गृह विभाग ने सोमवार को अपराधों का वर्गीकरण करते हुए पुलिस को निर्देश भी जारी किए हैं कि अब ऐसे लोगों पर संबंधित कठोर धाराओं में मुकदमे दर्ज किए जाएं और ज़रूरत पड़ने पर सीधे गिरफ्तारी भी की जाए।
अब तक पुलिस अधिकतर मामलों में इन छद्म साधुओं व फर्जी वेशधारियों को सिर्फ शांतिभंग की धारा में हिरासत में लेकर छोड़ रही थी, लेकिन अब ये आरोपी बीएनएस, आईटी एक्ट, औषधि चमत्कारिक अधिनियम जैसे विभिन्न कानूनों के तहत अपराधी भी माने जाएंगे।
इन मामलों में दर्ज होंगे मुकदमे
- धार्मिक वेशभूषा पहनकर फर्जी पहचान के आधार पर धोखा देना – BNS (भारतीय न्याय संहिता)
- चमत्कारिक उपचार या दवा से जुड़ा भ्रामक प्रचार – औषधि व चमत्कारिक (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954
- सोशल मीडिया या विज्ञापनों के जरिए ठगी – BNS व आईटी एक्ट
- फर्जी प्रोफाइल बनाकर साइबर अपराध – BNS व आईटी एक्ट
- जाली दस्तावेज पर देश में रह रहे विदेशी नागरिक – BNS व विदेशी अधिनियम, 1946
- सरकारी योजनाओं का फर्जी दस्तावेज़ों से लाभ लेना – BNS
हर दिन बनेगी रिपोर्ट, चलाया जाएगा जागरूकता अभियान
गृह सचिव शैलेश बगौली ने आम जनता को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया व जनसंचार माध्यमों से प्रचार अभियान चलाने के निर्देश भी दिए हैं ताकि लोग ऐसे छद्म वेशधारियों के झांसे में न आएं। साथ ही ऑपरेशन की प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक दिन मुख्यालय स्तर पर रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी, जिसे शासन को भी भेजा जाएगा।