अस्वस्थ घोड़ा-खच्चरों की यात्रा मार्ग में नो एंट्री, वायरस के खतरे को लेकर सतर्क हुआ प्रशासन

केदारनाथ यात्रा मार्ग पर अब अस्वस्थ घोड़ा-खच्चरों को प्रवेश नहीं मिलेगा। पशुपालन विभाग ने एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस के खतरे को देखते हुए यह सख्त निर्णय भी लिया है। विभाग के सचिव डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि यात्रा की सुरक्षा और पशुओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए ही यह कदम उठाया गया है। स्थानीय निवासियों ने भी घोड़ा-खच्चरों पर लगी रोक को आगे बढ़ाने की मांग भी की है।

डॉ. पुरुषोत्तम ने बताया कि 4 अप्रैल से अब तक 16,000 से अधिक घोड़ा-खच्चरों की सैंपलिंग की जा चुकी है। शुरुआती जांच में 152 सैंपल एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस के लिए पॉजिटिव भी पाए गए थे, हालांकि बाद में आरटी-पीसीआर जांच में सभी रिपोर्ट निगेटिव आईं।

दो दिन में 13 घोड़ा-खच्चरों की मौत

बीते दो दिनों में यात्रा मार्ग पर 13 घोड़ा-खच्चरों की मौत की सूचना भी मिली है। इनमें 8 की मौत डायरिया और 5 की मौत एक्यूट कोलिक (पेट दर्द) से हुई है। इन मामलों की विस्तृत जांच के लिए सैंपल बरेली स्थित आईवीआरआई को भी भेजे गए हैं।

चिकित्सकों की टीम तैनात, क्वारंटीन सेंटर तैयार

यात्रा मार्ग पर पशुओं की निगरानी के लिए 22 से अधिक चिकित्सकों की टीम भी तैनात की गई है। पंतनगर विश्वविद्यालय व राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के विशेषज्ञों को भी मौके पर बुलाया गया है। संक्रमित 600 घोड़ा-खच्चरों के लिए विशेष क्वारंटीन सेंटर बनाए गए हैं, जहां उन्हें अलग भी रखा जाएगा।

उत्तर प्रदेश से आने वाले घोड़ा-खच्चरों पर प्रतिबंध

हर वर्ष केदारनाथ यात्रा में उत्तर प्रदेश से 2,000 से 3,000 घोड़ा-खच्चर आते हैं। लेकिन वायरस की आशंका को देखते हुए इस बार यूपी से आने वाले पशुओं पर फिलहाल पूर्ण प्रतिबंध भी लगाया गया है। हालांकि यह वायरस इंसानों में नहीं फैलता, लेकिन घोड़ा-खच्चरों में इसका संक्रमण बेहद ही तेजी से फैलता है।

सख्ती के साथ होगी निगरानी

प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि केवल स्वस्थ पशुओं को ही यात्रा मार्ग पर चलने की अनुमति भी दी जाएगी। विभाग लगातार हालात की निगरानी कर रहा है और जरूरत पड़ने पर और कड़े कदम उठाए भी जा सकते हैं।