उत्तराखंड में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर अवैध कब्जे, जांच की मांग तेज
देहरादून: उत्तराखंड वक्फ बोर्ड की करोड़ों रुपये की संपत्तियों पर अवैध कब्जों का गंभीर आरोप सामने आया है। उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने आरोप लगाया है कि वक्फ बोर्ड की मिलीभगत से राज्यभर में कई संपत्तियों पर अवैध कब्जे किए गए हैं और इसकी विजिलेंस जांच भी होनी चाहिए।
मुफ्ती कासमी ने कहा कि राज्य में वक्फ बोर्ड के अंतर्गत 5 हजार से अधिक संपत्तियां पंजीकृत हैं, जिनमें से कई वर्षों से कब्जे में चल रही हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जिन लोगों को इन संपत्तियों का मुतवल्ली (प्रबंधक) नियुक्त किया गया है, उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि की भी जांच की जानी चाहिए।
“संशोधित वक्फ कानून से नहीं होगा मुसलमानों को नुकसान”
मुफ्ती शमून कासमी ने यह भी स्पष्ट किया कि हाल में किए गए वक्फ संशोधन कानून से मुस्लिम समुदाय को कोई नुकसान नहीं होगा। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी ने वक्फ बोर्ड तो बनाए, लेकिन इन संपत्तियों का उपयोग समाज के हित में नहीं किया।
“जिन जमीनों पर स्कूल, कॉलेज या अस्पताल बनने थे, वहां कुछ नहीं बना। न ही जरूरतमंदों के लिए कोई ठोस कार्य किए गए,” उन्होंने कहा।
“कांग्रेस शासन में हुई वक्फ संपत्तियों की लूट”
मुफ्ती कासमी ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों के दौरान वक्फ संपत्तियों की व्यवस्थित लूट हुई, जिससे मुस्लिम समुदाय को काफी नुकसान भी झेलना पड़ा। वे देहरादून के कावली क्षेत्र में स्थित मदरसा फैजुल उलूम में आयोजित एक अभिनंदन कार्यक्रम के दौरान बोल रहे थे।
सीबीआई जांच की मांग
इसी मुद्दे पर उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के मौजूदा अध्यक्ष शादाब शम्स ने भी बड़ा बयान भी दिया है। उन्होंने वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर हुए कब्जों की सीबीआई जांच की मांग की है।
“वक्फ बोर्ड के अध्यक्षों, मुतवल्ली और कर्मचारियों ने सरकार के संरक्षण में संपत्तियों की लूट की है—चाहे वह मेरा कार्यकाल हो या इससे पहले का। सबकी जांच होनी चाहिए,” शम्स ने कहा।
सरकार पर सीधा आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि यह लूट किसी एक सरकार की नहीं, बल्कि वर्षों से चला आ रहा सिस्टम का नतीजा है, जिसे खत्म करना अब जरूरी भी है।