
उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे के बाद जल्द होंगे चुनाव, संविधान के अनुच्छेद 68 के तहत प्रक्रिया तेज
देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के पद से इस्तीफा देने के बाद अब उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति की प्रक्रिया भी तेज हो गई है। संविधान के अनुच्छेद 68 (2) के तहत, इस्तीफे या मृत्यु के कारण खाली हुए उपराष्ट्रपति के पद को शीघ्र चुनाव के माध्यम से भरा जाना आवश्यक भी होता है।
अब निर्वाचन आयोग को जल्द ही उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की अधिसूचना भी जारी करनी होगी। चुना गया उपराष्ट्रपति 5 वर्षों की पूर्ण अवधि तक अपने पद पर बने रहने का हकदार भी होगा, भले ही वह कार्यकाल खाली पद के कारण पहले ही शुरू हो।
संवैधानिक अस्पष्टताएं और प्रावधान
हालांकि संविधान में यह स्पष्ट नहीं है कि यदि उपराष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने से पहले अगर वह त्यागपत्र दे दें या राष्ट्रपति के रूप में कार्य करें तो उनके राज्यसभा सभापति पद के कर्तव्यों का निर्वहन कौन करेगा। ऐसी स्थिति में आमतौर पर राज्यसभा के उपसभापति या राष्ट्रपति द्वारा अधिकृत कोई अन्य सदस्य यह जिम्मेदारी भी संभालता है।
उपराष्ट्रपति का कार्यकाल और त्यागपत्र प्रक्रिया
भारत के उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है, लेकिन यदि नए उपराष्ट्रपति के शपथ ग्रहण तक कार्यकाल पूरा ही नहीं होता, तो वे तब तक पद पर बने भी रह सकते हैं। उपराष्ट्रपति, किसी भी समय राष्ट्रपति को त्यागपत्र सौंप सकते हैं, जो त्यागपत्र स्वीकार होने के दिन से ही प्रभावी माना जाता है।
चुनाव की प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति का चुनाव, संविधान के अनुच्छेद 66 के तहत, संसद के दोनों सदनों (लोकसभा व राज्यसभा) के सदस्यों से बने निर्वाचक मंडल द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से भी किया जाता है।
उपराष्ट्रपति के लिए योग्यता
- भारत का नागरिक होना चाहिए
- न्यूनतम 35 वर्ष की आयु
- राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित होने की योग्यता
- किसी लाभ के पद पर आसीन नहीं होना चाहिए, यानी भारत सरकार, राज्य सरकार या स्थानीय निकाय के अधीनस्थ पद पर कार्यरत व्यक्ति उपराष्ट्रपति पद के लिए पात्र नहीं है।