रामनगर के पटरानी गांव में शिक्षा संकट: हाई स्कूल शिफ्टिंग के खिलाफ ग्रामीणों का प्रदर्शन, कहा – यह हमारे अस्तित्व का सवाल

गांव के हाई स्कूल को बंद करने के सरकारी फैसले ने बढ़ाया तनाव, ग्रामीणों ने दिया सांकेतिक धरना

उत्तराखंड के रामनगर स्थित वन ग्राम पटरानी में सरकार के एक फैसले ने ग्रामीणों में भारी रोष उत्पन्न कर दिया है। मंगलवार को सैकड़ों ग्रामीणों ने गांव में सांकेतिक धरना देते हुए राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। यह विरोध प्रदर्शन ग्राम पटरानी के ग्रामीणों और मालिकाना हक संघर्ष समिति के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

सरकार ने हाल ही में आदेश जारी कर कहा है कि ग्राम पटरानी का एकमात्र हाई स्कूल बंद किया जाएगा और इसे करीब 6 किलोमीटर दूर स्थित राजकीय इंटर कॉलेज मालधनचौड़ में समाहित कर दिया जाएगा।

ग्रामीणों का आरोप: शिक्षा से वंचित करने की साजिश, वोट बैंक की तरह इस्तेमाल

हंगामेदार जनसभा में ग्रामीणों ने सरकार पर आरोप लगाया कि उन्हें केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि बुनियादी अधिकारों और सुविधाओं की लगातार अनदेखी हो रही है।

“यह केवल स्कूल का मामला नहीं है, यह हमारे अस्तित्व और भविष्य का सवाल है,”
बसंत बरत्रियाल, मनोनीत ग्राम प्रधान

ग्रामीणों ने बताया कि इस हाई स्कूल में पटरानी गांव ही नहीं, बल्कि आसपास के कई अन्य वन ग्रामों के बच्चे भी शिक्षा प्राप्त करते हैं। स्कूल को दूर स्थित कॉलेज में शामिल करने से सैकड़ों बच्चों की शिक्षा बाधित हो जाएगी

वन्यजीवों से घिरा इलाका, सुरक्षा बनी चुनौती

ग्रामीणों ने बताया कि गांव चारों ओर से जंगलों से घिरा हुआ है, जहां अक्सर वन्यजीवों की आवाजाही बनी रहती है
पूर्व में कई ग्रामीण बाघ, गुलदार जैसे जानवरों के हमले का शिकार हो चुके हैं। ऐसे में बच्चों का रोजाना जंगल पार कर स्कूल जाना जान जोखिम में डालने जैसा होगा।

“सरकार बसों की बात करती है, लेकिन आज तक 108 एंबुलेंस या गैस की सप्लाई तक नहीं आई, बच्चों के लिए बसें कहां से आएंगी?”
ग्रामीण प्रतिनिधि, पटरानी

बरसात में उफनते नाले, स्कूल पहुंचना नामुमकिन

ग्रामीणों ने कहा कि बरसात के मौसम में क्षेत्र के नाले उफान पर आ जाते हैं, जिससे गांव से बाहर निकलना लगभग असंभव हो जाता है।
इस स्थिति में 6 किलोमीटर दूर स्कूल भेजना शारीरिक और मानसिक रूप से असंभव चुनौती होगी।

मुख्यमंत्री को भेजा गया ज्ञापन, न्याय की मांग

प्रदर्शनकारियों ने एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा है, जिसमें मांग की गई है कि यह फैसला तत्काल रद्द किया जाए
मालिकाना हक संघर्ष समिति के अध्यक्ष एस. लाल ने कहा:

“हम पीढ़ियों से इस क्षेत्र में रह रहे हैं। यह स्कूल हमारे बच्चों के भविष्य का आधार है। इसे बंद करना हमारी मेहनत और अधिकारों को नष्ट करने के समान है।”

उग्र आंदोलन की चेतावनी

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे इस फैसले के खिलाफ व्यापक जन आंदोलन छेड़ेंगे।

“अगर हमारी आवाज़ को नजरअंदाज किया गया, तो हम चुप नहीं बैठेंगे।
यह केवल शिक्षा का मामला नहीं, यह हक और पहचान की लड़ाई है।”
संघर्ष समिति सदस्य

प्रमुख मांगें:

  • हाई स्कूल को बंद न किया जाए

  • क्षेत्र के भौगोलिक और सुरक्षा पहलुओं को ध्यान में रखते हुए पुनर्विचार किया जाए

  • वन ग्रामों में मूलभूत सुविधाएं जैसे:

    • 108 एंबुलेंस

    • परिवहन सुविधा

    • गैस वितरण व्यवस्था जल्द शुरू की जाए

 शिक्षा का अधिकार केवल एक नारा नहीं, यह संवैधानिक हक है। वन ग्रामों के बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा को प्राथमिकता देना राज्य की जिम्मेदारी है।