अपना वॉलेट कहां पर रख दिया, याद नहीं, कुछ कहना था पर अब याद नहीं, क्या आप भी करते हैं ऐसी हरकतें, तो जानें वजह

दो दिन बाद मुझे यह काम करना है, अभी से इसको डायरी या मोबाइल में नोट कर के रख लें, नहीं तो फिर भूल जाएंगे । अरे अपना वॉलेट कहां पर रख दिया, याद नहीं । तुमसे कुछ कहना चाह रहा था, लेकिन मुझे अब बात याद नहीं आ रही । इस तरह की छोटी-छोटी समस्याएं आजकल के युवाओं के साथ होने लगी हैं । आजकल युवा इसे डिप्रेशन समझकर इलाज के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं, लेकिन क्या आपको पता है यह भूलने की बीमारी यानी अल्जाइमर है ।

 

आजकल युवाओं में भूलने की बीमारी ज्यादा ही हो रही है । पहले यह बीमारी 40 से 60 वर्ष की उम्र में देखने को मिलती थी, लेकिन अब युवा भी इससे ग्रसित हो रहे हैं । गांधी शताब्दी अस्पताल के फिजीशियन डॉ. प्रवीण पंवार ने बताया कि बेहतर खानपान की कमी या समय से नींद न लेना और स्मोकिंग के अलावा कोरोना की वजह से याददाश्त पर असर पड़ रहा है ।

 

यह बुढ़ापे की बीमारी है, लेकिन अब युवाओं में ज्यादा दिखाई दे रही है । इसमें मरीजों की काउंसलिंग भी जरूरी होती है । छोटी-छोटी बातों को लोग भूल रहे हैं । युवा जब इलाज के लिए आते हैं तो पर्सनॉलिटी में बदलाव, तनाव, मूड स्विंग होना, एंग्जायटी, रुचि कम होने की समस्या बताते हैं।

 

निजी अस्पताल की मनोचिकित्सक डॉ. मनीषा सिंघल ने बताया कि आजकल युवाओं को लगता है कि वह डिप्रेशन का शिकार हो गए हैं । डॉक्टर स्थिति समझते हैं, लेकिन डॉक्टर अल्जाइमर बताकर युवाओं का इलाज नहीं करते । उन्हें तनाव, डिप्रेशन, एंग्जायटी बताकर इलाज करते हैं, ताकि युवाओं का तनाव अधिक न बढ़ सके । डिमेंशिया और अल्जाइमर दोनों भूलने की बीमारी होती है, लेकिन दोनों बीमारियां अलग-अलग हैं। डिमेंशिया बुजुर्गों में ज्यादा होती है ।

 

– ये लक्षण है –

– किस जगह पर हैं ये भूलने लग जाना ।

– सही निर्णय नहीं ले पाना।

– नियमित काम सही ढंग से न करना।

– आगे की योजनाएं भूल जाना।

– सही कपड़ों का चुनाव न कर पाना।

– चीजों को सही जगह पर न रखना, फिर ढूंढना।

– आत्मविश्वास की कमी होना।

 

 ये बचाव के उपाय –

– संतुलित आहार लें।

– नियमित व्यायाम करें।

– नशीले पदार्थों का सेवन न करें।

– खुद को अकेला न रखें।

– तनावमुक्त रहें।