चारधाम यात्रा संपन्नता की ओर: 25 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट होंगे बंद, शीतकालीन पूजा स्थलों पर श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था

देहरादून। उत्तराखंड के पर्यटन, धर्मस्व व संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि गंगोत्री, यमुनोत्री व केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद 25 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद भी कर दिए जाएंगे। इसके बाद परंपरागत रूप से सभी चार धामों में शीतकालीन पूजा-अर्चना उनके निर्धारित स्थलों पर ही की जाएगी।

मंत्री महाराज ने कहा कि सरकार ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए शीतकालीन पूजा स्थलों पर विशेष व्यवस्थाएं भी की हैं, ताकि भक्तजन सर्दियों में भी आसानी से दर्शन व पूजा-अर्चना कर सकें।

शीतकालीन पूजा स्थलों का विवरण

  • भगवान केदारनाथ की पूजा ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में होगी।
  • भगवान बदरीनाथ की पूजा पांडुकेश्वर (योगध्यान बद्री मंदिर) में संपन्न होगी।
  • मां गंगा की पूजा मुखबा गांव में की जाएगी।
  • मां यमुना की पूजा खरसाली गांव में होगी।

महाराज ने कहा कि सर्दियों के दौरान चारों धामों में भारी बर्फबारी के कारण देवता अपने शीतकालीन निवास स्थलों पर विराजमान भी रहते हैं। श्रद्धालु इन दिव्य स्थानों पर पहुंचकर आराम से दर्शन व पूजा-अर्चना कर सकते हैं।

चारधाम यात्रा में रिकॉर्ड श्रद्धालु

मंत्री ने बताया कि चारधाम यात्रा 2025 अब तक 50 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आगमन के साथ ऐतिहासिक भी रही है।

  • केदारनाथ धाम में 17 लाख से अधिक
  • बदरीनाथ धाम में 15 लाख से अधिक
  • गंगोत्री धाम में 7.5 लाख से अधिक
  • यमुनोत्री धाम में 6.5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।

उन्होंने कहा कि सीएम पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में चारधाम यात्रा इस वर्ष भी सफल व सुचारू रूप से संपन्न हुई है। “मानसून सीजन के दौरान आई बाधाओं के बावजूद यात्रा पूरी तरह व्यवस्थित भी रही। इसके लिए मैं सभी विभागों, स्थानीय नागरिकों, तीर्थ पुरोहितों, स्वयंसेवी संस्थाओं व तीर्थयात्रियों का आभार व्यक्त करता हूं।

शीतकालीन यात्रा को मिलेगा बढ़ावा

मंत्री ने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी के आह्वान पर सरकार ने शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशेष कदम भी उठाए हैं। इसके तहत राज्य के विभिन्न धार्मिक व पर्यटन स्थलों के होटलों में 50 प्रतिशत तक की छूट देने का निर्णय भी लिया गया है।

महाराज ने कहा कि उत्तराखंड न केवल आस्था का केंद्र है बल्कि सालभर पर्यटन का गंतव्य बनता भी जा रहा है। शीतकालीन चारधाम यात्रा इस दिशा में एक नया अध्याय भी जोड़ने जा रही है।