केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा की रणनीतिक जीत और महिला उम्मीदवार की ऐतिहासिक सफलता
केदारनाथ उपचुनाव सिर्फ एक विस सीट नहीं रहा। इस सीट पर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा की प्रतिष्ठा नहीं विचारधारा भी दांव पर लगी थी। बदरीनाथ में हार के बाद उसे वैचारिक मोर्चे पर रक्षात्मक होना पड़ा था। पार्टी ऐसी असहज स्थिति दोबारा नहीं बनने देना चाहती थी। इसलिए पार्टी ने उपचुनाव पूरी ताकत झोंकी।
90 हजार से अधिक मतदाता वाली केदारनाथ विधानसभा की जनता ने शनिवार को अपना जनादेश दिया। जनता ने भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल को अपना विधायक चुना है। इसी के साथ केदारनाथ विधानसभा में महिला प्रत्याशी की जीत का मिथक भी भाजपा ने दोहराया।
पिछले करीब तीन महीने से उपचुनाव की तैयारी में जुटे सियासी दलों की तैयारियों और प्रत्याशियों और उनके समर्थकों के लगातार 17 दिन तक किए धुआंधार प्रचार का फल जनता ने भाजपा की झोली में डाला। अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए भाजपा ने कई कसर नहीं छोड़ी। वहीं केदारनाथ उपचुनाव के दौरान कांग्रेस ने नई दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के शिलान्यास को मुद्दा बनाने पर पूरा जोर दिया। लेकिन केदारनाथ मंदिर के चक्रव्यूह में कांग्रेस खुद ही फंस गई और पार नहीं पा पाई। आइए आपको बताते हैं केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा की जीत के बड़े कारण… उपचुनाव का विधिवत एलान से तकरीबन तीन महीने पहले चुनावी प्रबंधन के रणनीतिकारों को मैदान में उतार दिया था।
प्रदेश और केंद्र में सरकार, केदारनाथ से सीधे पीएम मोदी का जुड़ाव, सीएम, मंत्री, विधायक और पार्टी पदाधिकारियों का प्रचार उपचुनाव में भाजपा की ताकत बना।
महिला मतदाता बहुल सीट पर दो बार की विधायक रही महिला चेहरे आशा नौटियाल पर लगाया गया दांव भाजपा का मजबूत पक्ष बना। भाजपा को उम्मीद थी कि महिला प्रत्याशी पर लगाया गया दांव सही साबित होगा और महिला उम्मीदवार की जीत का मिथक दोहराएगा।
नई दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का शिलान्यास भाजपा का कमजोर पक्ष माना जा रहा था, लेकिन सीएम धामी ने इस मामले को बड़ी सूझबूझ से संभाला। और लोगों की नाराजगी को दूर किया।