उत्तराखंड में रिवर्स पलायन की बड़ी तस्वीर: 6,282 प्रवासी लौटे गांव, 43% युवा कर रहे नई उम्मीदों की खेती

देहरादून। पहाड़ों से लगातार हो रहे पलायन के बीच उत्तराखंड के गांवों से एक सकारात्मक खबर भी सामने आई है। पलायन निवारण आयोग की ताज़ा रिवर्स पलायन सर्वे रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 6,282 प्रवासी वापस अपने गांव को लौट आए हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन लौटने वालों में युवा वर्ग सबसे आगे है—25 से 35 वर्ष आयु वर्ग के 43% प्रवासी अब गांवों में ही अपना भविष्य भी तलाश रहे हैं।

कृषि, पशुपालन व पर्यटन बन रहे आजीविका का आधार

गांव लौटे प्रवासी अब पारंपरिक खेती के साथ आधुनिक तकनीक व विविध व्यवसायों को अपनाकर नई राह बना रहे हैं।

  • 39% प्रवासी कृषि व बागवानी, सब्जी उत्पादन, मसाले, औषधीय व सगंध पौधों, जैविक खेती, मधुमक्खी पालन व मशरूम उत्पादन से भी जुड़े।
  • 21.5% ने पर्यटन क्षेत्र में होमस्टे, होटल, रेस्टोरेंट व ट्रैवल सर्विसेज़ शुरू कीं।
  • 18% प्रवासी पशुपालन—डेयरी, बकरी, भेड़, पोल्ट्री व मत्स्य पालन—के माध्यम से आजीविका कमा रहे हैं।

युवा बढ़ रहे हैं आगे
रिपोर्ट बताती है कि—

  • 25 से 35 वर्ष: 43%
  • 25 वर्ष से कम: 28.66%
  • 35 वर्ष से अधिक: 29.09%
    यह आंकड़े बताते हैं कि गांवों में रोजगार के नए अवसर युवाओं को आकर्षित कर रहे हैं।

कौन-सा ज़िला सबसे आगे?

रिवर्स पलायन में पौड़ी सबसे आगे है, उसके बाद अल्मोड़ा व टिहरी का स्थान है।

जिला लौटे प्रवासी जिला लौटे प्रवासी
पौड़ी 1213 रुद्रप्रयाग 342
अल्मोड़ा 976 चंपावत 324
टिहरी 827 नैनीताल 300
चमोली 760 देहरादून 201
उत्तरकाशी 448 हरिद्वार 141
बागेश्वर 368 यूएसनगर 38
पिथौरागढ़ 344 कुल 6282

कोविड के बाद बढ़ी घर वापसी

रिपोर्ट के अनुसार कोरोना महामारी के बाद लोगों में गांव लौटने की प्रवृत्ति तेज हुई है।

  • विदेशों से 169 प्रवासी लौटे—इनमें सबसे अधिक 66 टिहरी के हैं।
  • अन्य राज्यों से 4,769 लोग वापस आए।
  • राज्य के भीतर अन्य जिलों में पलायन कर चुके 1,127 लोग भी अपने गांवों में लौटे हैं।

यह रिपोर्ट बताती है कि रोजगार, आत्मनिर्भरता व गांवों के प्रति लगाव—तीनों मिलकर उत्तराखंड में एक नई उम्मीद का अध्याय भी लिख रहे हैं।