धूल से बिगड़ रही उत्तराखंड के शहरों की हवा की सेहत, दून-ऋषिकेश-काशीपुर में शुरू हुआ सुधार अभियान

देहरादून। उत्तराखंड के शहरों में धूल प्रदूषण से हवा की गुणवत्ता लगातार ही खराब हो रही है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने देहरादून, ऋषिकेश व काशीपुर में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत हवा की सेहत सुधारने के प्रयास भी तेज कर दिए हैं। अध्ययन में सामने आया है कि तीनों शहरों में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण धूल ही है।

एनसीएपी के तहत किए गए विश्लेषण में पाया गया कि देहरादून में पीएम-10 स्तर बढ़ने का मुख्य कारण सड़क की धूल है, जो कुल प्रदूषण का 56 प्रतिशत हिस्सा भी है। इसके अलावा जंगल की आग 19 प्रतिशत, वाहन धुआं 7 प्रतिशत और भवन निर्माण व ध्वस्तीकरण गतिविधियां 9 प्रतिशत तक जिम्मेदार हैं।

ऋषिकेश में धूल 40 प्रतिशत व वाहनों का धुआं 17 प्रतिशत तक प्रदूषण के प्रमुख कारण भी हैं। यहां घरेलू ईंधन 14 प्रतिशत व औद्योगिक स्रोत 9 प्रतिशत योगदान दे रहे हैं।

काशीपुर में धूल 35 प्रतिशत, वाहनों से निकला धुआं 14 प्रतिशत व उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण 15 प्रतिशत भी पाया गया है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि हवा में पार्टिकुलेट मैटर (PM-10 और PM-2.5) की अधिकता मुख्य चिंता का विषय भी है। ये तत्व धूल व धुएं से उत्पन्न होते हैं व मानव स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं।
धूल कम करने के लिए सड़क सुधार कार्य और मशीनों से सड़क सफाई की योजना भी शुरू की गई है। साथ ही, यातायात प्रभावित क्षेत्रों में हरियाली बढ़ाने की भी योजना तैयार भी की गई है।

देहरादून, ऋषिकेश व काशीपुर के नगर निगमों, परिवहन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व कृषि विभाग को सितंबर 2025 तक इन कार्यों के लिए 94 करोड़ रुपये से अधिक की राशि भी आवंटित की गई है।

एनसीएपी कार्यक्रम के बाद शहरों की हवा की गुणवत्ता में सुधार भी देखने को मिला है। हालिया स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में ऋषिकेश देश में 14वें व देहरादून 19वें स्थान पर रहा, जो राज्य के सतत प्रयासों का परिणाम भी है।