उत्तराखंड के तेज-तर्रार आईएएस अफसर दीपक रावत अचानक खामोश क्यों हो गए? अब तक नहीं हुआ कोई औचक निरीक्षण

उत्तराखंड के तेज-तर्रार और प्रभावशाली आईएएस अफसरों में गिने जाने वाले कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत इस समय खामोश ही नजर आ रहे हैं। पिछले तीन-चार माह में उन्होंने केवल अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठकों तक ही सीमित अपनी गतिविधियां रखी हैं, लेकिन औचक निरीक्षण या गांवों, स्कूलों व अस्पतालों का दौरा नहीं किया।

दीपक रावत का यह तरीका पहले अधिकारियों में एक तरह का दबाव व डर बनाए रखता था, क्योंकि वे बिना किसी पूर्व सूचना के निरीक्षण करने पहुंच जाते थे। मगर अब उनकी सक्रियता में कमी भी देखी जा रही है, और अधिकारी इस बदलाव को लेकर चुप्प हैं।

अगर पिछले कुछ माह की बात करें तो उत्तराखंड में निकाय चुनावों के कारण आचार संहिता लागू हो गई थी, जिसके कारण दीपक रावत की सक्रियता पर भी असर पड़ा। इसके अलावा, 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन उत्तराखंड में 28 जनवरी से 14 फरवरी तक हुआ, जिसके चलते भी कुमाऊं कमिश्नर की सक्रियता में कमी आई।

इसके बाद यह भी जानकारी मिली कि दीपक रावत स्वास्थ्य कारणों से दिल्ली में अवकाश पर भी चले गए थे, जिससे उनकी गतिविधियों में और भी कमी आई।

दीपक रावत का जन्म 24 सितंबर 1977 को मसूरी में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मसूरी में ही पूरी की। इसके बाद दिल्ली के हंसराज कॉलेज से इतिहास में बीए किया। फिर दिल्ली के जेएनयू से इतिहास में एमए व प्राचीन इतिहास में एमफिल की डिग्री भी प्राप्त की।