राज्य की सभी भर्तियों में आंदोलनकारियों व आश्रितों को मिले आरक्षण, राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को राजकीय सेवाओं में आरक्षण बिल पर मंथन I

विधानसभा के पटल से प्रवर समिति के पास पहुंचे राज्य आंदोलनकारी आरक्षण विधेयक में आश्रितों की श्रेणी में तलाकशुदा और परित्यक्ता बेटियों को भी शामिल करने का सदस्यों ने सुझाव दिया है । साथ ही राज्य सरकार की सभी भर्ती परीक्षाओं में राज्य आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने की हिमायत की है । विधानसभा के सभागार में प्रवर समिति के अध्यक्ष संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को राजकीय सेवाओं में आरक्षण बिल पर मंथन हुआ । बैठक में सदस्यों ने प्रस्तावित बिल में संशोधन करने के लिए सुझाव दिए ।

 

बैठक से पूर्व संसदीय कार्यमंत्री ने सचिव कार्मिक शैलेश बगौली को बुलाकर बिल के प्रावधान के संबंध में चर्चा की । बैठक में उन्होंने प्रावधानों के बारे में सरकार का पक्ष रखा । हालांकि समिति ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है । माना जा रहा है कि जल्द ही प्रवर समिति की दूसरी बैठक में सुझावों पर सहमति बन जाएगी । प्रवर समिति के सदस्य भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान और बसपा के मोहम्मद शहजाद बैठक में नहीं पहुंचे । जबकि भाजपा विधायक विनोद चमोली, उमेश शर्मा काऊ, कांग्रेस विधायक भुवन चंद कापड़ी और मनोज तिवारी बैठक में शामिल हुए ।

 

प्रेमचंद अग्रवाल, अध्यक्ष, प्रवर समिति : पहली बैठक में बिल के एक-एक बिंदू पर चर्चा हुई । हम उन तमाम पहलुओं पर बातचीत कर रहे हैं ताकि भविष्य में बिल के प्रावधानों को लेकर कोई कानूनी अड़चन पैदा न हो । जल्द ही समिति की बैठक बुलाई जाएगी । हमारा प्रयास रहेगा कि 15 दिन के निर्धारित समय पर समिति अपनी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंपे ।

 

भुवन कापड़ी, सदस्य, प्रवर समिति : आरक्षण बिल में कई कमियां है । आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को राज्य की सभी भर्तियों में 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए । पूर्व में लगे आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों की नौकरी भी सुरक्षित होनी चाहिए । साथ ही आश्रितों की श्रेणी में तलाकशुदा और परित्यक्ता बेटियों को शामिल किया जाए ।