पितृपक्ष 2023: 29 या 30 सितंबर कब से हैं पितृ पक्ष?

हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि आत्मा अजर और अमर होती है। ऐसे में मृत्यु के बाद मनुष्य का शरीर तो नष्ट हो जाता है, जबकि आत्मा दर-बदर भटकती रहती है। भटकती हुई आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध एवं पिंडदान की क्रियाएं की जाती है। पितरों की तर्पण और पिंडदान करने का हरिद्वार में विशेष स्थान है। इसमें हरकी पौड़ी, कुशा घाट, कनखल और नारायणी शिला इन स्थानों पर पिंडदान करने से पितरों को मुक्ति मिलती है। हरिद्वार को हरि का द्वार माना जाता है। यहां पर विष्णु और महादेव दोनों निवास करते हैं।

इसलिए हरिद्वार में किया पितरों के लिए कोई भी कार्य उन्हें मोक्ष दिलाता है, और पितृ जिस भी योनि में होते हैं, वहां तृप्त होते हैं।

आश्विन माह के कृष्ण पक्ष को पितृ पक्ष कहते है। इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष का समय बहुत विशेष माना जाता है। पितृ पक्ष के इन 16 दिनों में श्राद्ध कर्म होते हैं। पितृ पक्ष में पितरों को तृप्त करने के प्रयास किए जाते हैं। इसके लिए इन दिनों में तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने की परंपरा है। धार्मि​क मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में किए गए इन कार्यों से पितृ दोष दूर होता है और परिवार में सुख-शांति और खुशहाली आती है। पितृ पक्ष में वंशज अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं।

15 दिन देरी से शुरू होंगे पितृ पक्ष-

इस बार पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से हो रही है और 14 अक्‍टूबर 2023 को यह समाप्‍त होंगे। पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होते हैं और अश्विन मास की अमावस्‍या तक चलते हैं। इसे सर्व पितृ अमावस्‍या कहते हैं। अधिक मास की वजह से इस साल सावन दो महीने का था। इसकी वजह से सभी व्रत-त्‍योहार 12 से 15 दिन देरी से पड़ें। आमतौर पर पितृ पक्ष सितंबर में समाप्‍त हो जाते हैं लेकिन इस साल पितृ पक्ष सितंबर के आखिर में शुरू होंगे और अक्‍टूबर के मध्‍य तक चलेंगे।

 

पित पृक्ष 2023 श्राद्ध तिथियां-

पूर्णिमा का श्राद्ध – 29 सितंबर 2023 (शुक्रवार)
प्रतिपदा का श्राद्ध – 29 सितंबर 2023 (शुक्रवार)
द्वितीया का श्राद्ध – 30 सितंबर 2023 (शनिवार)
तृतीया का श्राद्ध – 1 अक्टूबर 2023 (रविवार)
चतुर्थी का श्राद्ध – 2 अक्टूबर 2023 (सोमवार)
पंचमी का श्राद्ध – 3 अक्टूबर 2023 (मंगलवार)
षष्ठी का श्राद्ध – 4 अक्टूबर 2023 (बुधवार)
सप्तमी का श्राद्ध – 5 अक्टूबर 2023 (गुरुवार)
अष्टमी का श्राद्ध – 6 अक्टूबर 2023 (शुक्रवार)
नवमी का श्राद्ध – 7 अक्टूबर 2023 (शनिवार)
दशमी का श्राद्ध – 8 अक्टूबर 2023 (रविवार)
एकादशी का श्राद्ध – 9 अक्टूबर 2023 (सोमवार)
मघा श्राद्ध – 10 अक्टूबर 2023 (मंगलवार)
द्वादशी का श्राद्ध – 11 अक्टूबर 2023 (बुधवार)
त्रयोदशी का श्राद्ध – 12 अक्टूबर 2023 (गुरुवार)
चतुर्दशी का श्राद्ध – 13 अक्टूबर 2023 (शुक्रवार)
सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या – 14 अक्टूबर 2023 (शनिवार)

कुशा की नई कोपलों पर विराजमान होते हैं पितर
प्राचीन शास्त्रों के अनुसार सावन माह की पूर्णिमा से ही पितर पृथ्वी पर आ जाते हैं। वह नई आई कुशा की कोंपलों पर विराजमान हो जाते हैं। श्राद्ध अथवा पितृ पक्ष में व्यक्ति जो भी पितरों के नाम से दान तथा भोजन कराते हैं अथवा उनके नाम से जो भी निकालते हैं, उसे पितर सूक्ष्म रुप से ग्रहण करते हैं।

 

पुराणों के अनुसार यमराज हर वर्ष श्राद्ध पक्ष में सभी जीवों को मुक्त कर देते हैं। जिससे वह अपने स्वजनों के पास जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें।

 

इन तीन पूर्वजों को माना जाता है देवता समान-
तीन पूर्वज पिता, दादा तथा परदादा को तीन देवताओं के समान माना जाता है। पिता को वसु के समान माना जाता है। रुद्र देवता को दादा के समान माना जाता है। आदित्य देवता को परदादा के समान माना जाता है। श्राद्ध के समय यही अन्य सभी पूर्वजों के प्रतिनिधि माने जाते हैं।

पंचांग के अनुसार इस साल पितृपक्ष की शुरुआत 29 सितंबर 2023 से हो रही है। इसका समापन 14 अक्टूबर को होगा। इस दौरान पूरी श्रद्धा के साथ पितरों को याद किया जाता है और उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान और अन्य अनुष्ठान किए जाते हैं। मान्यता है कि पितृपक्ष में पितरों की आत्मा अपने परिवार वालों को आर्शीवाद देने के लिए धरती पर आती है। इसलिए इस दौरान कुछ ऐसे कार्य हैं जिन्हे करने से बचना चाहिए वरना आपके पितर् नाराज हो सकते हैं। चलिए जानते हैं पितृपक्ष के दौरान कौन से कार्य नहीं करने चाहिए।

तामसिक चीजों से रहें दूर-

पितृपक्ष के दौरान तामसिक चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इस दौरान घर में सात्विकता का माहौल बनाए रखना चाहिए। संभव हो तो इन दिनों लहसुन और प्याज का भी सेवन नहीं करना चाहिए। तामसिक चीजों के इस्तेमाल से आपके पितर नाराज हो सकते हैं।

बाल और नाखून न काटें-

पितृपक्ष में श्राद्धकर्म करने वाले व्यक्ति को पूरे 15 दिनों तक बाल और नाखून नहीं कटवाने चाहिए। साथ ही इस दौरान ब्रह्माचार्य का भी पालन करना चाहिए।

 

किसी भी पक्षी को न सताएं-

कहा जाता है कि पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पक्षियों के रूप में इस धरती पर आते हैं, इसलिए इन दिनों गलती से भी किसी पक्षी को नहीं सताना चाहिए।

 

न करें मांगलिक कार्य का आयोजन

पितृपक्ष पूर्वजों के लिए समर्पित होता है, इसलिए इस दौरान किसी भी तरह का मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। पितृपक्ष के दौरान शादी, मुंडन, सगाई और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।