कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहा छात्र छात्राओं ने सीईयूटी की परीक्षा में आवेदन तो किया मगर ज्यादातर परीक्षा केन्द्र बहुत दूर और राज्य से बाहर दूर रखे गये जिससे ज्यादातर बच्चे समय से परीक्षा में नही बैठ पाये।

शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री को मामले का संज्ञान ले

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने केन्द्रीय हेमवन्ती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय परिसर और उससे सम्बद्ध विद्यालयों और प्रदेश के अन्य विद्यालयों मे प्रवेश के लिए छात्र छात्राओं को हो रही परेशानी पर बोलते हुए कहा कि यह केन्द्र सरकार और उच्च शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही है केन्द्र सरकार के मनमाने फैसले से छात्र-छात्राओं विद्यालयों में प्रवेश के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड रहा है क्योंकि इस बार विद्यालयों में प्रवेश के लिए सीईयूटी की परीक्षा की प्रात्रता अनिवार्य कर दी गयी है, छात्र छात्राओं को फैसले की पूरी तरह जानकारी नही हो पायी और अधिकांश छात्र-छात्राएं सीईयूटी की परीक्षा में बैठने से वंचित रह गये, क्योंकि उत्तराखण्ड विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला राज्य है, जिस कारण जिन छात्र छात्राओं को जानकारी भी हुयी और उन्होनें सीईयूटी की परीक्षा में आवेदन तो किया मगर ज्यादातर परीक्षा केन्द्र बहुत दूर और राज्य से बाहर दूर रखे गये, जिसमें सम्मलित होने के लिए छात्र छात्राओं और उनके अभिभावकों को बडी परेशानी का सामना करना पडा और ज्यादातर बच्चे समय से परीक्षा में नही बैठ पाये।

शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि राज्य सरकार ने भी केन्द्र को राज्य की परिस्थितियों से अवगत नही कराया, जिस कारण यह सारी परिस्थितियां बनी हैं अब प्रदेश के विद्यालयों में 80 प्रतिशत से 60 प्रतिशत सीटे तो खाली है, मगर फिर भी बच्चों को प्रवेश नही मिल पा रहा है। जिस कारण अधिकाशं छात्र छात्राओं और उनके परिजनों को भारी परेशानियों का सामना करना पड रहा है। जिस कारण प्रदेश के युवाओं में भारी आक्रोश है। उन्होनें कहा कि सी0ई0यू0टी0 की अनवार्यता का मानक मनमाने तरीके व जल्दबाजी में छात्रों पर थोपा गया। बिष्ट ने कहा कि उत्तराखण्ड के ज्यादातर बच्चों को आंशका है कि खाली सीटों पर राज्य से बाहर के बच्चों को प्रवेश का षड़यन्त्र रचा जा रहा है, अगर ऐसा होता है तो यह प्रदेश के बच्चों के साथ अन्याय होगा।

शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री को मामले का संज्ञान लेकर उच्च शिक्षा विभाग को निर्देशित कर मामले की गम्भीरता को देखते हुए तत्काल केन्द्र से वार्ता कर नियमों में स्थिलता बरतते हुए पूर्व की भांति छात्र छात्राओं को प्रवेश की व्यवस्था बहाल करनी चाहिए जिससे प्रदेश के युवाओं को हो रही परेशानी से छुटकारा मिल सके।