सिस्टम के एक्शन के साथ ही भीषण गर्मी की मार, अतिक्रमण की कार्रवाई के चलते लोग बेघर, सामने दुविधा, आखिर जाएं तो जाएं कहां; देखे तस्वीरें
सिस्टम के एक्शन के साथ ही भीषण गर्मी की मार भी लोगों को अब झेलनी पड़ रही है। अतिक्रमण की कार्रवाई के चलते लोग बेघर हो गए व अब इस गर्मी में उनके सामने ये दुविधा है कि आखिर वो जाएं तो जाएं कहां। दहरादून में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई से हड़कंप भी मचा है। भारी पुलिस बल के बीच चिन्हित अतिक्रमण स्थल पर बुलडोजर भी चलाया जा रहा है। इस दौरान रोते बिलखते पीडि़तों ने कहा कि जीवनभर की पूंजी भी चली गई। महिलाएं रो-रोकर बेहोश भी हो गई। इनके पुर्नवास की कोई व्यस्था भी नहीं है।
आज मंगलवार को दीप नगर में मकान तोड़ने पहुंची नगर निगम की टीम का कोई लोगों ने विरोध भी किया। इससे पहले बीते सोमवार को रिस्पना नदी किनारे मलिन बस्तियों के अतिक्रमण पर नगर निगम का बुलडोजर भी चला। सिटी मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में भारी पुलिस बल लेकर पहुंची नगर निगम की टीम ने 35 अतिक्रमण भी ध्वस्त किए। सुबह 9 बजे से शुरू हुई कार्रवाई शाम 4 बजे तक चली। इस दौरान अतिक्रमणकारियों में हड़कंप भी मचा रहा।
नगर निगम ने रिस्पना नदी किनारे मार्च 2016 के बाद बने 525 अतिक्रमण चिह्नित कर एनजीटी को रिपोर्ट भी सौंपी थी। एनजीटी ने इन्हें 30 जून तक हटाने के निर्देश भी दिए थे। कुल 525 में से 89 अतिक्रमण नगर निगम के क्षेत्र में थे बाकी एमडीडीए व नगर पालिका मसूरी क्षेत्र के ही थे। नगर निगम ने अपने क्षेत्र के अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान भी शुरू किया है।
बीते सोमवार सुबह मजिस्ट्रेट हरगिरी व अपर नगर आयुक्त वीर सिंह बुदियाल के नेतृत्व में निगम की टीम सुबह 9 बजे चूना भट्ठा पहुंची व वहां से अतिक्रमण हटाना भी शुरू कर दिया। एक-एक कर टीम ने वहां अतिक्रमण को हटाए। इसके बाद टीम ने शास्त्रीनगर, चंदर रोड, राजेश रावत कॉलोनी और बलबीर रोड से अतिक्रमण हटाया।
अभियान के पहले दिन टीम ने 3 जेसीबी से 35 अतिक्रमण भी हटाए। विरोध की आशंका पर कार्रवाई के दौरान भारी पुलिस बल भी मौजूद रहा। सीओ डालनवाला व सीओ रायपुर के साथ 70 पुलिसकर्मी और पीएसी के जवान भी थे। अपर नगर आयुक्त वीर सिंह बुदियाल, उप नगर आयुक्त रामकुमार बिनवाल और कर अधीक्षक राहुल कैंथोला के साथ नगर निगम की 40 लोगों की टीम अभियान में लगी थी। इनमें 30 मजदूर भी थे।
पहले दिन निगम की कार्रवाई में जो 35 अतिक्रमण हटाए गए उनमें ज्यादातर छोटे व अस्थाई थे। कुछ लोगों ने रिस्पना नदी पर शौचालय बनाकर कब्जा भी कर लिया था। कई लोगों ने मकान के पीछे के हिस्से की बाउंड्रीवॉल को बढ़ाकर नदी की जमीन भी कब्जा ली थी। कई ऐसे अतिक्रमण थे जिन्होंने सुअर बाड़ा ही बनाया हुआ था। किसी ने तो टीन शेड बना रखा था। निगम की जेसीबी ने नदी में उतरकर ये सभी अतिक्रमण ही ध्वस्त किए।