उत्तराखंड में आज से लागू समान नागरिक संहिता (यूसीसी), मुख्यमंत्री ने किया उद्घाटन और कहा- “यह दिन ऐतिहासिक”

उत्तराखंड में आज से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू हो गई है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सेवक सदन में यूसीसी के पोर्टल और नियमावली का उद्घाटन किया, साथ ही इसकी अधिसूचना भी जारी की।

सीएम धामी ने कहा कि यह दिन हमारे राज्य के साथ-साथ पूरे देश के लिए ऐतिहासिक है। यूसीसी के रूप में यह गंगा देवभूमि की जनता ने बहाई है, और आज हम इस ऐतिहासिक पल का गवाह बन रहे हैं। मुझे इस क्षण पर अत्यधिक खुशी हो रही है, और मैं आज थोड़ा भावुक भी हूं। अब समान नागरिक संहिता लागू हो रही है, जिससे सभी नागरिकों के अधिकार समान होंगे, और सभी धर्मों की महिलाओं के अधिकार भी बराबरी पर होंगे। पीएम और गृह मंत्री का मैं आभार व्यक्त करता हूं, उनके सहयोग से यह सब संभव हुआ है। जस्टिस प्रमोद कोहली और समिति का भी धन्यवाद करता हूं। विधानसभा के सभी सदस्य, आईटी विभाग, पुलिस, गृह विभाग सभी का धन्यवाद, जिनके प्रयासों से हमने यह वादा पूरा किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार गठन के समय ही हमने यह निर्णय लिया था और आज वह दिन आ गया है। लगभग तीन सालों से इस दिन का इंतजार किया जा रहा था। यूसीसी जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर कानूनी भेदभाव को समाप्त करने का एक कदम है। यह महिला सशक्तीकरण के साथ-साथ उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा। हलाला, तलाक जैसी कुप्रथाओं पर प्रभावी रोक लगेगी, और लिव-इन संबंधों में रजिस्ट्रेशन से दोनों पक्षों को सुरक्षा मिलेगी। उत्तराखंड में 27 जनवरी को अब हर साल समान नागरिक संहिता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। जैसे माँ गंगा इस भूमि से निकलकर पूरे देश को लाभ पहुंचाती हैं, वैसे ही यूसीसी भी काम करेगी।

मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि यूसीसी किसी भी जाति या धर्म के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा, “मुझसे पूछा गया था कि जनजातियों को अलग क्यों रखा गया, तो मैं बताना चाहता हूं कि संविधान के अनुच्छेद के आधार पर जनजातियों को अलग रखा गया है। यह यूसीसी किसी धर्म या सम्प्रदाय के खिलाफ नहीं है, यह समानता और समरसता का मार्ग है।”

मुख्यमंत्री धामी ने पोर्टल पर पहला पंजीकरण भी कराया और पंजीकरण प्रमाणपत्र भी सौंपे। निकिता नेगी रावत, मनोज रावत, अंजना रावत, मीनाक्षी, और अंजली ने भी पहले पंजीकरण कराया और उन्हें प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। उल्लेखनीय है कि यूसीसी लागू होने के पहले छह महीनों तक पंजीकरण के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।