UKSSSC स्नातक स्तरीय परीक्षा पेपर लीक बना रहस्य, जैमर फेल और मोबाइल प्रतिबंध के बावजूद तस्वीरें बाहर कैसे पहुंचीं?
देहरादून ; उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तरीय परीक्षा एक बार फिर विवादों में है। पेपर लीक का मामला अब प्रशासन के लिए सिरदर्द बन गया है। जहां एक ओर यह साफ हो चुका है कि परीक्षा कक्ष में जैमर काम नहीं कर रहा था, वहीं सबसे बड़ा सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि मोबाइल प्रतिबंधित होने के बावजूद पेपर की तस्वीर कैसे खींची गई और बाहर भेजी गई?
क्या कोई भीतर से खालिद की मदद कर रहा था? या फिर जांच में चूक हुई है?
मोबाइल से खींची गई पेपर की तस्वीर, आयोग ने मानी बात
आयोग ने पर्यवेक्षक की रिपोर्ट के आधार पर यह स्वीकार किया है कि परीक्षा कक्ष के अंदर से किसी ने पेपर की तस्वीर खींचकर बाहर भेजी। यह तस्वीर वायरल होने के बाद ही पेपर लीक की बात सामने आई थी।
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगर:
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सभी अभ्यर्थियों की सख्त जांच हुई थी,
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मोबाइल समेत सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर प्रतिबंध था,
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सभी परीक्षा केंद्रों पर जैमर लगे थे,
…तो फिर मोबाइल अंदर कैसे गया?
क्या आरोपी खालिद अकेला नहीं था?
पेपर भेजने का आरोपी अभ्यर्थी खालिद अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। लेकिन इस पूरे मामले में शक गहराता जा रहा है कि क्या खालिद को परीक्षा केंद्र के अंदर से किसी ने मदद की?
आयोग के सचिव डॉ. शिव कुमार बरनवाल का कहना है:
“संभव है कि खालिद को किसी अन्य की मदद मिली हो। लेकिन अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। जांच चल रही है।”
जैमर केवल 4G के लिए, 5G को नहीं रोक सके
पिछले सप्ताह यह भी सामने आया था कि सभी परीक्षा केंद्रों पर लगे जैमर केवल 4G नेटवर्क को ब्लॉक करने में सक्षम थे, जबकि अब अधिकतर इलाकों में 5G नेटवर्क सक्रिय है। तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार, पुराने जैमर 5G सिग्नल को नहीं रोक सकते, और इस तकनीकी कमजोरी का दुरुपयोग किया गया हो सकता है।
आगे की जांच से खुलेंगे राज
अब यह मामला सिर्फ पेपर लीक का नहीं, बल्कि सुरक्षा और ईमानदारी की परीक्षा का बन गया है।
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खालिद के पास मोबाइल आया कैसे?
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क्या जांच के दौरान कोई चूक हुई?
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क्या परीक्षा केंद्र के अंदर का कोई स्टाफ शामिल है?
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क्या पहले से पूरी योजना बना ली गई थी?
इन तमाम सवालों का जवाब पुलिस जांच में ही सामने आएगा।
कड़ी निगरानी और सख्ती के बावजूद चूक क्यों?
UKSSSC ने इस बार पेपर लीक की संभावनाओं को रोकने के लिए विशेष सतर्कता बरती थी।
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सभी 445 परीक्षा केंद्रों पर जैमर लगाए गए थे
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सभी केंद्रों पर मेटल डिटेक्टर से जांच की गई थी
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मोबाइल फोन, स्मार्ट वॉच, ब्लूटूथ डिवाइस आदि पर सख्त प्रतिबंध था
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हर केंद्र पर सीसीटीवी निगरानी के इंतजाम थे
इसके बावजूद पेपर कक्ष से तस्वीर बाहर जाना सिस्टम की एक बड़ी नाकामी को दर्शाता है।
भविष्य की साख दांव पर
UKSSSC पहले भी पेपर लीक मामलों को लेकर विवादों में रह चुका है। भर्ती परीक्षाओं की पारदर्शिता और युवाओं के भविष्य की साख अब फिर से दांव पर है।
परीक्षा के दौरान ली गई तस्वीर ने कई परतों को खोल दिया है। तकनीकी चूक, संभावित अंदरूनी मिलीभगत और लापरवाही ने इस पूरे प्रकरण को राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों स्तर पर बड़ा मुद्दा बना दिया है।