यमुनोत्री पैदल मार्ग पर भूस्खलन से दो की मौत, बचाव कार्य फिर शुरू; मौसम विभाग ने 26 जून तक भारी बारिश का अलर्ट जारी किया
उत्तरकाशी/देहरादून: यमुनोत्री धाम जाने वाले पैदल मार्ग पर सोमवार को हुए भूस्खलन के बाद आज मंगलवार सुबह से दोबारा खोज और बचाव कार्य भी शुरू कर दिया गया है। नौकैंची क्षेत्र में हुए इस हादसे में अब तक 2 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 3 अन्य लापता या घायल बताए जा रहे हैं।
हादसे की तस्वीर
सोमवार को नौकैंची के समीप अचानक पहाड़ी से बोल्डर और मलबा गिरने से 4 से 5 लोग खाई में जा गिरे। बचाव दल ने मौके से 2 शव निकाले – जिनमें एक 47 वर्षीय पुरुष और एक 9 साल की बच्ची भी शामिल हैं। एक घायल व्यक्ति को प्राथमिक उपचार के बाद उच्च चिकित्सा केंद्र में भेजा गया है।
मृतकों की पहचान:
- हरिशंकर (47), पुत्र ओमप्रकाश, निवासी – उत्तर प्रदेश
- ख्याति (9), पुत्री हरिशंकर, निवासी – उत्तर प्रदेश
घायल:
- रसिक भाई, पुत्र वस राम भाई, निवासी – प्रतापनगर वेस्ट, मुंबई
लापता:
- भाविका शर्मा (11), पुत्री जॉय शर्मा – दिल्ली
- कमलेश जेठवा (35), पुत्र कांतिबाई – महाराष्ट्र
पैदल यात्रा रोकी गई
जानकीचट्टी चौकी प्रभारी गंभीर सिंह तोमर के अनुसार,
रेस्क्यू अभियान के चलते और यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए यमुनोत्री की पैदल यात्रा फिलहाल रोक दी गई है। वैकल्पिक मार्ग (भंडेली गाड़) खोलने पर फैसला जिलाधिकारी की मौजूदगी में ही लिया जाएगा।
विधायक पहुंचे घटनास्थल
यमुनोत्री विधायक संजय डोभाल घटनास्थल के लिए रवाना हो गए हैं। प्रशासन रेस्क्यू कार्यों में तेजी लाने व वैकल्पिक रास्ते की सुरक्षा समीक्षा में जुटा है।
26 जून तक भारी बारिश का अलर्ट
मौसम विभाग ने 22 से 26 जून तक राज्य के कई जिलों – देहरादून, टिहरी, नैनीताल व चंपावत में भारी बारिश की चेतावनी दी है। इसके मद्देनज़र राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (SEOC) ने संबंधित डीएम को अलर्ट पर रहने के निर्देश भी दिए हैं। सभी विभागीय नोडल और आपदा प्रबंधन अधिकारी सतर्क रहेंगे।
गंगोत्री हाईवे के सात नाले फिर बनेंगे मुसीबत
गंगोत्री हाईवे पर स्थित सुक्की के 7 नाले हर वर्ष की तरह इस बार भी चारधाम यात्रा और स्थानीय आवाजाही के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। स्थानीय निवासी और जनप्रतिनिधि बीआरओ से इन स्थानों पर सुरक्षात्मक कार्यों की लंबे समय से मांग भी कर रहे हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं हुई।
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार,
ये नाले बरसात में उफन कर सड़क को कई दिनों तक बाधित कर देते हैं, जिससे यात्रियों, ग्रामीणों, सेना व ITBP जवानों को आवाजाही में कठिनाई होती है।
उत्तराखंड में मानसून की दस्तक के साथ चारधाम यात्रा मार्गों पर जोखिम भी बढ़ गया है। यमुनोत्री हादसा इस बात का उदाहरण है कि पैदल मार्गों व राष्ट्रीय राजमार्गों पर सुरक्षात्मक उपायों की सख्त जरूरत भी है। साथ ही, मौसम विभाग के अलर्ट को देखते हुए प्रशासन और यात्रियों को अतिरिक्त सतर्कता भी बरतनी होगी।