“नीली कुर्सी” की कहानी निकली बेबुनियाद, SIT जांच में नहीं मिले साजिश के सबूत

हरिद्वार। शिक्षक भर्ती परीक्षा में खालिद को लेकर उठे विवाद और “नीली कुर्सी” की कथित साजिश पर SIT की जांच में कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। प्रारंभिक जांच के बाद SIT ने साफ किया है कि परीक्षा कक्ष में खालिद के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं की गई थी, बल्कि वह एक सामान्य प्रक्रिया के तहत तय की गई सीट पर बैठा था।

क्या थी ‘नीली कुर्सी’ की कहानी?

आरोप था कि खालिद को नकल कराने के उद्देश्य से उसे एक विशेष ‘नीली कुर्सी’ पर बिठाया गया, जो पूर्व-निर्धारित थी। पर जांच में सामने आया कि उस कक्ष में दो नीली कुर्सियां थीं — एक पर खालिद बैठा था और दूसरी पर कोई अन्य परीक्षार्थी। स्कूल प्रशासन ने बताया कि पूरे परीक्षा केंद्र में दो ही प्रकार की कुर्सियां — नीली और काली — उपलब्ध थीं, जिन्हें मिश्रित रूप से हर कक्ष में रखा गया था। कई कक्षों में नीली कुर्सियां अधिक थीं, तो कहीं काली।

SIT द्वारा स्कूल का निरीक्षण कर प्रबंधक और व्यवस्थापक से भी पूछताछ की गई। जांच में यह साबित हुआ कि छात्रों की बैठने की व्यवस्था सामान्य थी, और नीली कुर्सी का कोई ‘राज’ नहीं था।

जैमर की रेंज में था खालिद का कक्ष

खालिद द्वारा मोबाइल फोन से प्रश्नपत्र की तस्वीरें खींचे जाने की बात सामने आई थी, जिसके बाद जैमर की कार्यक्षमता पर भी सवाल उठे। SIT जांच में यह भी स्पष्ट हो गया कि खालिद का कक्ष भले ही जैमर से सीधे लैस न था, लेकिन वह जैमर की रेंज में आता था।

एक जैमर की प्रभावी रेंज 10 से 15 मीटर होती है, और खालिद का कक्ष दोनों ओर जैमर लगे कक्षों के बीच स्थित था। यही वजह थी कि वह परीक्षा कक्ष में रहते हुए फोटो भेज नहीं सका। SIT के मुताबिक, खालिद वॉशरूम जाकर ही फोटो ट्रांसफर करने की कोशिश में सफल हो पाया।

साजिशन नकल की योजना, लेकिन सफल नहीं हो पाया खालिद

सूत्रों के मुताबिक, खालिद ने परीक्षा से एक दिन पहले ही मोबाइल फोन छिपा लिया था और पूरी तैयारी के साथ नकल की योजना बनाई थी। परीक्षा कक्ष में घुसने में सफल होने के बाद उसने तीन पन्नों की तस्वीरें बाहर भेजीं, लेकिन उत्तर प्राप्त होने से पहले ही उसकी करतूत का खुलासा हो गया।

SIT जांच में यह भी सामने आया कि खालिद ने कुल 35 सवाल हल किए, जिनमें कुछ गलत भी हो सकते हैं। ऐसे में यह लगभग तय है कि वह इस परीक्षा में पास नहीं हो पाएगा। आयोग से उसका उत्तरपुस्तिका और स्कोर रिकॉर्ड भी मंगवाया गया है।

आरोपों में नहीं निकली सच्चाई

एसआईटी की जांच रिपोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि खालिद को लेकर सोशल मीडिया और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में जो आरोप लगाए जा रहे थे — जैसे कि विशेष सीटिंग अरेंजमेंट या जैमर की अनदेखी — वे तथ्यों पर आधारित नहीं थे। जांच के अनुसार, यह एक सुनियोजित नकल की कोशिश जरूर थी, लेकिन परीक्षा केंद्र की व्यवस्थाएं सामान्य थीं।