गौ माता को ‘राष्ट्रमाता’ का दर्जा दिलाने की तैयारी, सख्त कानूनों पर मुहर! 

देहरादून में आज उत्तराखंड गौ सेवा आयोग की कार्यकारिणी की अहम बैठक भी हुई, जिसमें गौवंश संरक्षण व कल्याण से जुड़े कई बड़े फैसले भी लिए गए। बैठक की अध्यक्षता गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेन्द्र अंथवाल ने ही की।

मुख्य फैसले और प्रस्ताव

  • गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा देने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित भी किया गया।
  • केंद्र सरकार से अनुरोध किया जाएगा कि गौवंश अपराधों पर समान कानून पूरे देश में लागू भी किया जाए।
  • गौ तस्करी या गौ हत्या के मामलों में अब 10 साल की सजा व 5 लाख रुपए जुर्माना लगाने का प्रस्ताव।
  • सड़क पर बेसहारा गाय छोड़ने वालों पर अब 10 हजार रुपए जुर्माना (पहले 2 हजार)।
  • गौवंश को शारीरिक कष्ट पहुंचाने पर कानूनी सजा का प्रावधान लागू करने पर भी सहमति।

गौ संरक्षण के लिए नई व्यवस्था

  • पुलिस विभाग के तहत ‘गौवंश संरक्षण स्क्वॉड’ गठित किया जाएगा, जो राज्य की सीमाओं पर रेगुलर चेकिंग भी करेगा।
  • हर जिले में नर गौवंश (नंदी) के संरक्षण के लिए नंदी शाला स्थापित भी की जाएगी।
  • गौवंश का पंजीकरण, टैगिंग व फोटोग्राफी अनिवार्य होगी।
  • दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों की नियमित जांच होगी ताकि गौ तस्करी पर अंकुश भी लगाया जा सके।
  • प्रत्येक गौवंश का जन्म व मृत्यु पंजीकरण अनिवार्य किया जाएगा।
  • देशी नस्ल की गायों के संरक्षण के लिए प्रोत्साहन योजना भी शुरू की जाएगी।
  • भूसे व चारे की कमी दूर करने के लिए मिलों से अन्यत्र भूसे की सप्लाई पर रोक लगाने का प्रस्ताव।

गौ सदनों की स्थिति और सुधार

बैठक में राज्यभर के गौ सदनों की स्थिति की समीक्षा की गई।
अध्यक्ष राजेन्द्र अंथवाल ने कहा —

“राज्य में आज भी लगभग 60 प्रतिशत गौवंश सड़कों पर है। गौवंश के प्रति क्रूरता बढ़ी है, इसलिए अब सख्त कानून भी लाए जाएंगे।”

उन्होंने निर्देश दिए कि निर्माणाधीन गौ सदन व गौशालाओं को जल्द पूरा किया जाए, भूमि चयन व निविदा प्रक्रिया में तेजी लाई जाए, और गौ सदनों की लंबित देनदारियां समय पर निपटाई भी जाएं।

वित्त और भूमि प्रबंधन पर भी चर्चा

  • गौ सेवा आयोग को पर्याप्त धनराशि आवंटित करने का प्रस्ताव भी पारित।
  • गौचर भूमि का चिन्हीकरण व अतिक्रमण मुक्त कराने पर जोर दिया गया।
  • गौ सदनों के पंजीकरण व मान्यता प्रक्रिया को और सरल व पारदर्शी बनाने की सिफारिश।