गैरसैंण पर फिर सियासी घमासान: सचिवालय के 11 अनुभाग शिफ्ट करने की तैयारी

देहरादून: गैरसैंण में स्थायी राजधानी को लेकर एक बार फिर से बहस अब तेज हो गई है। हाल ही में आयोजित गैरसैंण सत्र महज 2 दिन का होने पर राज्य आंदोलनकारियों व आम जनता ने नाराजगी जताई और स्थायी राजधानी की मांग को जोर-शोर से भी उठाया। इसी बीच सचिवालय से आई खबर ने इस बहस को और भी हवा दे दी है।

दरअसल, सीएम पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के अनुसार उत्तराखंड सचिवालय के 11 अनुभागों को गैरसैंण में शिफ्ट करने की तैयारी है। सचिवालय संघ ने इस पहल का स्वागत भी किया था, लेकिन अब तक शासन स्तर से इस पर लिखित कार्रवाई ही शुरू नहीं हो पाई है। इसे लेकर सचिवालय संघ ने सीएम से जल्द ठोस कदम उठाने की मांग भी की है।

सचिवालय संघ के महामंत्री राकेश जोशी ने कहा कि

संगठन गैरसैंण में अनुभागों के शिफ्टिंग का समर्थन भी करता है, लेकिन अब शासन को लिखित औपचारिकताएं पूरी कर प्रक्रिया को आगे भी बढ़ाना होगा।

गैरसैंण को लेकर अब तक की सरकारों में राजनीतिक खींचतान जारी ही रही है। विजय बहुगुणा सरकार ने पहली बार यहां कैबिनेट बैठक की थी, हरीश रावत सरकार ने विधानसभा व सचिवालय के ढांचे को बढ़ाने पर भी जोर दिया, जबकि त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी भी घोषित किया। इसके बावजूद स्थायी राजधानी को लेकर असमंजस भी बना रहा।

अब धामी सरकार के फैसले व सचिवालय संघ की पहल ने इस मुद्दे को अब फिर से गरमा दिया है। आंदोलनकारी भी सरकार की मंशा का स्वागत कर रहे हैं, लेकिन वे यह भी कह रहे हैं कि सिर्फ घोषणा से काम नहीं चलेगा। गैरसैंण में अधिकारियों व कर्मचारियों की वास्तविक तैनाती और कामकाज भी शुरू होना जरूरी है।

गैरसैंण में सचिवालय के अनुभागों को शिफ्ट करना पहली बार ही होगा, लेकिन यह प्रक्रिया आसान तो नहीं होगी। इसमें कर्मचारियों की तैनाती, फाइलों की मूवमेंट व प्रशासनिक कार्यों की व्यवस्था जैसी चुनौतियाँ भी सामने आएंगी। सरकार कर्मचारियों को गैरसैंण जाने के लिए अतिरिक्त भत्ते व पदोन्नति जैसे प्रोत्साहन देने पर भी विचार कर रही है। साथ ही रोटेशन फार्मूला अपनाने की भी संभावना जताई जा रही है।

स्थायी राजधानी को लेकर उठी यह नई बहस आने वाले दिनों में उत्तराखंड की राजनीति व प्रशासन दोनों के लिए एक बड़ा मुद्दा बन सकती है।