मौनी अमावस्या: 50 वर्षों बाद बना खास और दुर्लभ योग, हरकी पैड़ी पर स्नान के लिए उमड़ा आस्था का सैलाब

आज मौनी अमावस्या का पावन स्नान है, जो इस बार त्रिवेणी योग में पड़ा है। 50 वर्षों के बाद त्रिवेणी के साथ 4 अन्य शुभ योग भी इस मौनी अमावस्या के साथ जुड़ रहे हैं। इस दिन पवित्र नदी में मौन रहकर स्नान और दान पुण्य करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख और समृद्धि आती है।

मौनी अमावस्या पर हरिद्वार के हर की पैड़ी घाट सहित विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली। सुबह 4 बजे से ही श्रद्धालु जयकारे लगाते हुए घाटों की ओर बढ़ रहे थे। स्नान और दान के बाद उन्होंने भक्तिमय वातावरण में दिन की शुरुआत की।

मंदिरों, शिवालयों और शक्तिपीठों में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। हालांकि प्रयागराज में महाकुंभ चलने के बावजूद, बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान के लिए हरिद्वार पहुंचे।

स्नान पर्व को लेकर पुलिस ने यातायात व्यवस्था के तहत विशेष प्लान जारी किया है। सुबह 6 बजे से स्नान संपन्न होने तक शहर में भारी वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। चंडी चौक से वाल्मीकि चौक, शिवमूर्ति चौक तक और शिवमूर्ति चौक से हरकी पौड़ी, भीमगोड़ा बैरियर से हरकी पौड़ी तक जीरो जोन घोषित किया गया है।

आईआईटी रुड़की स्थित श्री सरस्वती मंदिर के पुजारी ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश शुक्ला ने बताया कि माघ कृष्ण अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। “मौनी” शब्द मुनि शब्द से उत्पन्न हुआ है, और इस दिन मौन रहकर स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश होता है। मौनी अमावस्या के दिन ही ऋषि मनु का जन्म हुआ था।

इस बार, 50 वर्षों के बाद, मौनी अमावस्या पर त्रिवेणी योग के साथ साथ बुध आदित्य योग, मालव्य योग, शशराज योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहे हैं। मकर राशि में सूर्य, चंद्रमा और बुध का संचार त्रिवेणी योग का निर्माण कर रहा है, जो अत्यंत दुर्लभ है। इस योग में गंगा स्नान करने से त्रिवेणी, यानी संगम स्नान का पुण्य फल प्राप्त होता है।

मौनी अमावस्या का दिन भगवान विष्णु और पितरों को समर्पित है। इस दिन स्नान, पूजा और दान के साथ भगवान विष्णु और सूर्य देव की विशेष पूजा करने का महत्व है।