“इंसाफ दिला दो…!” लालकुआं में महेश जोशी की आत्महत्या से मचा कोहराम, सुसाइड नोट में पटवारी पर लगाए गंभीर आरोप
लालकुआं ; लालकुआं की शांत गलियों में सोमवार की शाम सन्नाटा पसरा था। न कोई चहल-पहल थी और न ही रोज़ की हलचल। हर चेहरा खामोश था, लेकिन भीतर से उबाल से भरा हुआ। वजह थी — महेश जोशी की मौत। वो सिर्फ एक प्रॉपर्टी डीलर नहीं थे, बल्कि लोगों के सुख-दुख में साथ खड़े रहने वाला एक ऐसा नाम, जिसकी कमी अब हर गली-मोहल्ला महसूस कर रहा है।
सुसाइड नोट ने खोली हकीकत, पटवारी पर लगाए गए संगीन आरोप
महेश जोशी की मौत एक सामान्य हादसा नहीं थी। बरेली के श्रीराम मूर्ति अस्पताल में अंतिम सांस लेने के बाद जब उनकी जेब से सुसाइड नोट मिला, तो पूरा इलाका सन्न रह गया। उस कागज की कुछ पंक्तियों ने सबको झकझोर कर रख दिया:
“मैं अपनी इच्छा से आत्महत्या कर रहा हूं। इसमें मेरे घर या बाहर वाले का कोई कसूर नहीं है। लालकुआं की पटवारी पूजा रानी ने मुझे काफी परेशान किया है। मेरे मरने के बाद इंसाफ दिला देना…”
इन पंक्तियों ने पूरे लालकुआं को आक्रोश से भर दिया। लोगों का कहना है कि महेश जैसे संवेदनशील और सहयोगी व्यक्ति को आत्महत्या के लिए मजबूर करना, सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे समाज की हार है।
कोतवाली में शव रखकर घंटों चला विरोध प्रदर्शन
शाम करीब पांच बजे जब महेश का शव लालकुआं कोतवाली पहुंचा, तो भीड़ का ग़ुस्सा फूट पड़ा। परिजन बेसुध थे और ग्रामीणों का आक्रोश उफान पर। “महेश को न्याय दो”, “दोषियों को गिरफ्तार करो”, जैसे नारों से कोतवाली परिसर गूंज उठा।
ग्रामीणों ने शव कोतवाली के गेट पर रख दिया और साफ कहा कि जब तक आरोपी पटवारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होगी, तब तक वे शव को नहीं उठाएंगे।
प्रशासनिक प्रयास और देर रात मिला आश्वासन
घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए सिटी मजिस्ट्रेट गोपाल सिंह चौहान, विधायक और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे। लोगों को समझाने की हर संभव कोशिश की गई, लेकिन भीड़ सिर्फ एक बात पर अड़ी रही — पूजा रानी पर कार्रवाई हो।
रात करीब नौ बजे स्थिति तब कुछ नियंत्रित हुई जब लोगों को मोबाइल स्क्रीन पर दिखाया गया कि पटवारी पूजा रानी से पूछताछ की जा रही है। इसके बाद लोगों ने शव को उठाया, लेकिन ग़ुस्सा और पीड़ा अब भी हर आंख में साफ झलक रही थी।
जांच कमेटी गठित, पटवारी मुख्यालय से अटैच
सिटी मजिस्ट्रेट गोपाल सिंह चौहान ने बताया:
“ग्रामीणों के विरोध की सूचना पर मैं स्वयं कोतवाली पहुंचा। बातचीत कर माहौल को शांत किया गया। पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। आरोपी पटवारी पूजा रानी को मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है और जांच कमेटी बना दी गई है। यदि जांच में संलिप्तता पाई जाती है, तो विभागीय कार्रवाई की जाएगी।”
लोगों की आवाज़: “महेश को मरने के बाद तो इंसाफ मिलना ही चाहिए”
पूरा इलाका इस समय शोक में डूबा है। महेश के जानने वाले, ग्राहक, समाजसेवी, पड़ोसी — सभी यही मांग कर रहे हैं कि आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले को सज़ा मिलनी ही चाहिए।
स्थानीय निवासी अर्जुन प्रसाद का कहना है:
“महेश जोशी जैसा इंसान समाज में बिरले ही होते हैं। अगर वो न्याय मांगते हुए इस दुनिया से गए हैं, तो हमें उनकी आखिरी इच्छा पूरी करनी होगी।”
न्याय की उम्मीद अभी बाकी है…
महेश जोशी की मौत ने लालकुआं को झकझोर दिया है। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या वाकई सिस्टम एक आम इंसान को न्याय दिला पाएगा, या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।
जोश, आक्रोश और आंसुओं के बीच एक ही सवाल हवा में तैर रहा है — क्या महेश को इंसाफ मिलेगा?