गैरसैंण विधानसभा: 11 साल में सिर्फ 35 दिन चली कार्यवाही, करोड़ों खर्च फिर भी मुद्दों पर नहीं हुई चर्चा

देहरादून: देश की सबसे ऊँचाई पर बसी गैरसैंण विधानसभा, जिसे उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी का भी दर्जा मिला, अब सवालों के घेरे में भी है। पहाड़ के सपनों को साकार करने के लिए बने इस भवन में 11 वर्षो में 10 सत्र ही हुए, लेकिन कार्यवाही केवल 35 दिन ही चली। इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद सदन में एक भी मुद्दे पर चर्चा ही नहीं हुई और कार्यवाही भी स्थगित हो गई।

पहली बार टेंट में हुआ सत्र, सपनों से हकीकत तक

साल 2014 में पहली बार गैरसैंण में टेंट में विधानसभा सत्र हुआ था। इसके बाद भराड़ीसैंण में विधानसभा भवन का निर्माण पशुपालन विभाग की 47 एकड़ भूमि पर शुर भी  हुआ। पहाड़ की जनता को उम्मीद थी कि इससे विकास की नई राह भी खुलेगी। लेकिन 11 वर्ष बाद भी तस्वीर निराशाजनक ही है।

राजनीति का एक ही पैटर्न

विशेषज्ञ मानते हैं कि भराड़ीसैंण सत्र अब एक तयशुदा पटकथा ही बन चुका है। सरकार सत्र बुलाती है, विपक्ष हंगामा करता है और सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित ही हो जाता है। इस बार भी ठीक वैसा ही हुआ।

इतिहास में पहली बार बिना चर्चा पूरा हुआ सत्र

उत्तराखंड विधानसभा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि बिना प्रश्नकाल, बिना नियम-58, 300 या 53 के तहत चर्चा के ही सत्र समाप्त भी हो गया। 4 दिन के सत्र का 2 दिन भी न चलना कई सवाल भी खड़े करता है। राज्य की आपदा, कानून-व्यवस्था व जनहित के मुद्दे एक बार फिर हाशिए पर ही चले गए।

किस सरकार में कितना चला गैरसैंण सत्र?

  • कांग्रेस सरकार में कुल 3 सत्र
  • बीजेपी सरकार में अब तक 6 सत्र
  • त्रिवेंद्र सरकार: सबसे ज्यादा 19 दिन
  • हरीश रावत सरकार: केवल 4 दिन
  • बहुगुणा सरकार: 3 दिन
  • धामी सरकार: 2 बार मिलाकर 7 दिन

अब तक गैरसैंण सत्र का ब्यौरा

  • 09 जून 2014 – 3 दिन
  • 02 नवंबर 2015 – 2 दिन
  • 17 नवंबर 2016 – 2 दिन
  • 07 दिसंबर 2017 – 2 दिन
  • 20 मार्च 2018 – 6 दिन
  • 03 मार्च 2020 – 5 दिन
  • 01 मार्च 2021 – 6 दिन
  • 13 मार्च 2023 – 4 दिन
  • 21 अगस्त 2024 – 3 दिन
  • 19 अगस्त 2025 – 2 दिन

सवाल यह है कि क्या गैरसैंण सच में पहाड़ की राजधानी भीं बन पाई, या अब तक यह केवल राजनीतिक वादों व दिखावे तक ही सीमित है?