उत्तराखंड में ड्रोन और जायरोकॉप्टर उड़ान को मिलेगी मंज़ूरी, अमेरिकी कंपनी तैयार कर रही ट्रिपल कोरिडोर प्लान
देहरादून: उत्तराखंड में जल्द ही न सिर्फ हेलिकॉप्टर, बल्कि ड्रोन व जायरोकॉप्टर भी आकाश में उड़ान भर सकेंगे। राज्य सरकार की इस दिशा में बड़ी पहल के तहत अमेरिका की एक अग्रणी एयरोस्पेस कंपनी ने ड्रोन, हेलिकॉप्टर और जायरोकॉप्टर के लिए अलग-अलग कोरिडोर चिह्नित करने की पेशकश भी की है।
राज्य सरकार की आईटीडीए (Information Technology Development Agency) के सामने कंपनी ने हाल ही में अपना प्रेजेंटेशन दिया, जिसमें उन्होंने उत्तराखंड के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी “ट्रिपल कोरिडोर” मॉडल भी पेश किया।
आईटीडीए की निदेशक नितिका खंडेलवाल ने पुष्टि की कि चयन प्रक्रिया फिलहाल भी जारी है और कई कंपनियों से प्रस्ताव भी प्राप्त हुए हैं।
रेड ज़ोन बन रहे थे बाधा, अब फिर शुरू हुई प्रक्रिया
उत्तराखंड एक सीमावर्ती राज्य है, जहां कई इलाकों को रेड ज़ोन भी घोषित किया गया है। इन क्षेत्रों में ड्रोन उड़ाना प्रतिबंधित है, जिस कारण राज्य में ड्रोन कोरिडोर को परिभाषित करने में अब तक अड़चनें भी आईं। हालांकि अब इस दिशा में दोबारा काम शुरू किया गया है, और विशेषज्ञ कंपनियों से नए प्रस्ताव आमंत्रित भी किए गए हैं।
ट्रिपल कोरिडोर से क्या होंगे फायदे?
- आपदा प्रबंधन में क्रांति: ड्रोन कोरिडोर के बनने से आपदा के समय दवाई, राहत सामग्री और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति भी तेज़ी से हो सकेगी।
- सटीक जानकारी: ड्रोन की मदद से प्रभावित क्षेत्रों की लाइव तस्वीरें और डेटा जल्द उपलब्ध होंगे, जिससे राहत और बचाव कार्य और अधिक प्रभावी होंगे।
- पर्यटन को मिलेगा नया आयाम: जायरोकॉप्टर कोरिडोर तैयार होने से उत्तराखंड के पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। पर्यटक हवाई रास्ते से प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद भी ले सकेंगे।
अमेरिका सहित कई देशों में इस तरह के ट्रिपल कोरिडोर मॉडल पहले से काम कर रहे हैं, और अब उत्तराखंड भी इस दिशा में कदम बढ़ा चुका है।