देहरादून से बड़ी खबर — प्रधानमंत्री के दौरे से पहले ‘सैन्य धाम’ पर सियासी संग्राम!

देहरादून में उत्तराखंड के गौरव व वीरता के प्रतीक सैन्य धाम एक बार फिर से सुर्खियों में है। पीएम नरेंद्र मोदी के आगामी उत्तराखंड दौरे से पहले इस धाम के निर्माण में हुई अनियमितताओं के आरोपों को लेकर मामला अब तूल पकड़ गया है।

एडवोकेट विकेश नेगी ने सैन्य धाम निर्माण में गड़बड़ियों को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को शिकायत भी भेजी है। वहीं अब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए मोर्चा भी खोल दिया है।

क्या है पूरा मामला

राज्य स्थापना दिवस समारोहों के दौरान राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री दोनों उत्तराखंड के दौरे पर भी आ रहे हैं। उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी इस दौरान देहरादून के गुनियाल गांव में बने सैन्य धाम का लोकार्पण भी करेंगे।
लेकिन कार्यक्रम से पहले ही धाम को लेकर विवादों की नई परतें भी खुलने लगी हैं।

एडवोकेट नेगी ने अपने पत्र में सैन्य धाम निर्माण में हुई अनियमितताओं, देरी व संभावित भ्रष्टाचार की शिकायत की है।

हरीश रावत का बड़ा बयान

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा —

“जहां बलिदान व शौर्य का प्रतीक सैन्य धाम बनाया गया है, उसकी नींव ही भ्रष्टाचार पर ही रखी गई है। खेल मैदान और नाले को घेरकर यह निर्माण किया गया है, जो निंदनीय भी है।”

रावत ने यह भी कहा कि इस निर्माण में प्राकृतिक जल निकासी मार्गों पर अतिक्रमण भी किया गया है, जो भविष्य में एक बड़ी आपदा का कारण भी बन सकता है। उन्होंने इसे सैन्य धाम की गरिमा के लिए खतरा भी बताया।

सैन्य धाम की विशेषताएं

  • उत्तराखंड के सभी शहीदों को समर्पित।
  • देश का पहला सैन्य धाम, जिसे राज्य का पांचवां धाम माना जा रहा है।
  • देहरादून के गुनियाल गांव की 4 हेक्टेयर भूमि पर निर्मित।
  • प्रवेश द्वार का नाम जनरल बिपिन रावत गेट रखा जाएगा।
  • परिसर में अमर ज्योति, शहीदों का म्यूजियम, ऑडिटोरियम और ओपन एयर थिएटर का निर्माण।
  • उत्तराखंड के 1734 शहीदों के घरों से लाई गई मिट्टी और 13 जिलों की 28 नदियों का जल यहां चढ़ाया गया है।
  • परिसर में बाबा जसवंत सिंह और बाबा हरदेव सिंह के मंदिर भी स्थापित होंगे।

अब क्या आगे?

प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से पहले यह विवाद राजनीतिक रंग भी ले चुका है।
जहां सरकार सैन्य धाम को राज्य के गौरव का प्रतीक बता रही है, वहीं विपक्ष इसे “भ्रष्टाचार की नींव पर बना स्मारक” भी करार दे रहा है।

अब सबकी निगाहें प्रधानमंत्री के दौरे और इस धाम के लोकार्पण कार्यक्रम पर ही टिकी हैं — क्या होगा इसका राजनीतिक असर, यह आने वाले दिनों में साफ भी होगा।