उत्तराखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: जीएसटी विवाद में अपील लंबित रहने तक नहीं होगी शेष कर राशि की वसूली

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जीएसटी करदाताओं को एक बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यापारी या संस्था निर्धारित समयसीमा के भीतर वैधानिक अपील दाखिल भी कर देती है और कानूनन तय 10 प्रतिशत राशि जमा भी कर देती है, तो अपील के निपटारे तक विभाग शेष कर राशि की वसूली ही नहीं कर सकता।

मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने यह फैसला मैसर्स राधा कृष्ण फर्म की याचिका पर सुनवाई के बाद ही सुनाया। मामला साल 2017-18 के जीएसटी रिटर्न में आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) के अंतर से ही जुड़ा था। विभाग ने फर्म पर 11.44 लाख रुपए कर व 1.14 लाख रुपए पेनल्टी सहित कुल 12.58 लाख रुपए की मांग भी उठाई। फर्म ने इसके खिलाफ 6 अगस्त 2025 को अपील दाखिल करते हुए 10 प्रतिशत राशि 1.14 लाख रुपए जमा भी कर दी।

याचिकाकर्ता का कहना था कि

नोटिस की जानकारी समय पर न मिलने से वे जवाब ही नहीं दे पाए। अपील लंबित होने के बावजूद तहसीलदार ने 5 अगस्त 2025 को वसूली प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया।

सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि

सीजीएसटी अधिनियम की धारा 107(6) में स्पष्ट प्रावधान है कि अपील लंबित होने पर शेष कर वसूली स्वतः स्थगित ही मानी जाएगी। इसलिए विभाग की कार्रवाई कानूनन उचित ही नहीं है। कोर्ट ने तहसीलदार का आदेश निरस्त करते हुए विभाग को भविष्य में ऐसी गलती न दोहराने की हिदायत भी दी।