Navratri 2023 : लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र मां डाट काली मंदिर, शनिवार को चढ़ाएं ये खास चीजें होती है मुरादे पूरी I
देहरादून मोहंड में स्थित सिद्धपीठ मां डाट काली मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है । मान्यता है कि सिद्धपीठ मां डाट काली मंदिर में शीश झुकाने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है । मां डाट काली उत्तराखंड के साथ ही पश्चिम उत्तर प्रदेश की भी ईष्ट देवी हैं। नवरात्र में देशभर से लाखों की संख्या में भक्त यहां पहुंचकर मां डाट काली के दर्शन करते हैं।
देहरादून से 7 किमी दूर सहारनपुर रोड पर स्थित मां डाट काली मंदिर अपने आप में विशेष मान्यता संजोय हुए है। शनिवार को मां डाट काली को लाल फूल, लाल चुनरी और नारियल चढ़ाने का विशेष महत्व है। कोई भी नया वाहन लेता है तो मंदिर में आकर दर्शन कर वाहन पर लाल चुनरी बांधते है।
वहीं, उत्तराखंड के साथ ही देशभर से भी भक्त शुभ कार्य करने से पहले मां डाट काली के दर्शन करते हैं। मंदिर के महंत रमन प्रसाद गोस्वाामी बताते हैं कि 1804 से पहले मंदिर आशारोड़ी के पास एक जंगल में हुआ करता था। तब अग्रेंजों के द्वारा सहारनपुर रोड पर टनल का निर्माण किया जा रहा था, लेकिन संस्था इसके निर्माण के लिए जितनी खुदाई करती थी उतना ही मलबा वहां दोबारा भर जाता था । तब मां घाठेवाली ने महंत के पूर्वजों के सपने में आकर मंदिर को टनल के पास स्थापित करने की बात कही थी। इसके बाद मंदिर को 1804 में वहां से हटाकर टनल के पास स्थापित कर दिया गया था।
मां डाट काली का नाम पहले घाठेवाली देवी हुआ करता था। महंत रमन गोस्वामी ने बताया कि मंदिर की स्थापना के बाद ही मां घाठेवाली का नाम डाटकाली पडा था । दरअसल, गांवो में सुरंग को डाट कहा जाता है ओर उस समय मंदिर की स्थापना भी सुरंग के पास हुई थी। इसलिए मां का नाम डाट काली पड़ गया था।
मां डाट काली मंदिर में करीब 101 साल से लगातार अखंड ज्योति जल रही है और मां डाट काली के साथ ही गणेश, हनुमान सहित अन्य भगवानों की प्रतिमा भी स्थापित हैं। भक्त मां के दर्शन के बाद अन्य भगवान के दर्शन करते हैं।
मां डाट काली के दर्शन के बाद उनकी बहन मां भद्रकाली के दर्शन किए जाते हैं और उनके दर्शन के बाद ही भक्तों की यात्रा पूर्ण मानी जाती है। मां भद्रकाली का मंदिर भी मां डाट काली मंदिर के पास स्थित टनल से सौ मीटर आगे ही स्थापित है ।