“नवंबर में बेटे की शादी है, लेकिन घर बचा न रोजगार” — पौड़ी आपदा पीड़ितों की दर्दभरी दास्तां
6 अगस्त को आई भीषण आपदा ने उत्तराखंड के कई परिवारों की जिंदगी तहस-नहस कर दी। पौड़ी जनपद के सैंजी गांव के नीलम सिंह और बबीता देवी उन कई लोगों में शामिल हैं, जिनका सब कुछ इस त्रासदी में बर्बाद हो गया। अब उनके सामने केवल भविष्य की चिंता नहीं, बल्कि वर्तमान की असहनीय जद्दोजहद भी है।
“शादी तो कर लेंगे किसी तरह, पर बहू को रखेंगे कहां?” — नीलम सिंह
नीलम सिंह, जो गांव में अपनी दुकान चलाकर परिवार का भरण-पोषण करते थे, अब अपने परिवार के साथ गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में शरण लिए हुए हैं। उनका मकान और दुकान दोनों ही आपदा में पूरी तरह से ध्वस्त हो गए।
“नवंबर में बेटे की शादी है। तैयारियां शुरू हो चुकी थीं, लेकिन सब तबाह हो गया। अगर किसी तरह शादी कर भी ली तो बहू को कहां रखूंगा?” – नीलम सिंह
नीलम सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने हर संभव सहायता का आश्वासन तो दिया है, लेकिन नवंबर तक नया घर बनने की कोई उम्मीद नहीं है। वे चाहते हैं कि सरकार या तो कहीं स्थायी विस्थापन करे या तत्काल आवास की व्यवस्था कराए।
“बेटी की शादी के लिए जोड़े गहने भी बह गए” — बबीता देवी
सैंजी गांव की बबीता देवी की कहानी भी कुछ अलग नहीं। उनका कहना है कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए सालों से गहने और जरूरी सामान जुटाए थे, जो इस आपदा में बह गए।
उनका मकान और गोशाला दोनों ही ध्वस्त हो चुके हैं, और अब रोजगार का भी कोई जरिया नहीं बचा।
“सरकार की ओर से पांच लाख की सहायता मिली है, लेकिन इससे मकान भी नहीं बन सकता, बाकी ज़रूरतें तो दूर की बात है।” – बबीता देवी
भविष्य अंधकारमय, वर्तमान असहाय
सैंजी गांव के कई परिवार अब भी अस्थायी शिविरों, स्कूलों या स्वास्थ्य केंद्रों में शरण लिए हुए हैं। जीवन की बुनियादी ज़रूरतें — रहने का स्थान, भोजन, रोजगार — सब कुछ संकट में है। शादी, बच्चों की पढ़ाई और बुजुर्गों की देखभाल जैसे मुद्दे अब पीछे छूट चुके हैं।
सरकारी सहायता अपर्याप्त, पुनर्वास की दरकार
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नीलम सिंह को रोजगार के लिए नई दुकान चाहिए। 
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बबीता देवी जैसी महिलाओं को स्थायी आवास और जीविकोपार्जन का साधन चाहिए। 
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गांव में पुनर्वास योजना और पुनर्निर्माण की स्पष्ट समयसीमा नहीं है। 
सैंजी गांव की आपदा स्थिति – एक नजर में
| प्रभावित व्यक्ति | हानि | मौजूदा स्थिति | ज़रूरतें | 
|---|---|---|---|
| नीलम सिंह | मकान और दुकान ध्वस्त | स्वास्थ्य केंद्र में रह रहे | आवास और रोजगार | 
| बबीता देवी | मकान, गोशाला और बेटी की शादी के गहने बह गए | कोई आय स्रोत नहीं | स्थायी पुनर्वास और आर्थिक मदद | 
 
			