उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन में महिलाओं की नई भूमिका, 1557 “आपदा सखी” होंगी तैयार, गांव-गांव जाकर सिखाएंगी सुरक्षा के गुर

देहरादून। प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में अब महिलाओं की सक्रिय भागीदारी से आपदा प्रबंधन को सशक्त भी किया जाएगा। राज्य सरकार ने महिला स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों को “आपदा सखी” के रूप में तैयार करने की पहल भी शुरू कर दी है। इन महिलाओं को गांव-गांव जाकर न केवल आपदा के दौरान राहत व बचाव कार्यों में मदद करनी होगी, बल्कि बच्चों व अन्य महिलाओं को भी आपदा प्रबंधन के गुर सिखाने की जिम्मेदारी भी दी जाएगी।

राज्यभर से 1557 आपदा सखी चयनित

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं में से कुल 1557 आपदा सखी का चयन भी कर लिया गया है। मिशन के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा इनकी सूची उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (USDMA) को भी भेजी गई है। अब यूएसडीएमए इनके लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल भी तैयार कर रहा है, जिससे उन्हें मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित भी किया जा सके।

जिलावार चयनित आपदा सखी संख्या:

जिला संख्या
पौड़ी 243
अल्मोड़ा 165
टिहरी 150
चमोली 144
नैनीताल 132
पिथौरागढ़ 123
ऊधमसिंह नगर 111
देहरादून 105
उत्तरकाशी 99
हरिद्वार 96
चंपावत 81
बागेश्वर 57
रुद्रप्रयाग 51

आपदा सखी क्या करेंगी?

  • आपदा से पहले, दौरान व बाद में जरूरी सूचनाएं और जानकारी समुदाय तक पहुंचाना।
  • गांवों व स्कूलों में आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण देना, खासकर महिलाओं और बच्चों को।
  • जोखिम का आकलन, राहत व बचाव कार्यों में सहयोग करना।
  • प्रशासन व स्थानीय समुदाय के बीच सेतु की भूमिका निभाना।

क्यों है यह पहल अहम?

उत्तराखंड में हर वर्ष अतिवृष्टि, भूस्खलन, बादल फटना, बाढ़ व भूकंप जैसी आपदाएं जनजीवन को प्रभावित करती हैं। ऐसे में ग्राम स्तर पर मजबूत आपदा प्रतिक्रिया तंत्र खड़ा करना भी अनिवार्य है। इस दिशा में महिलाओं की भागीदारी न केवल प्रभावशाली साबित होगी, बल्कि सामुदायिक जागरूकता भी बढ़ाएगी।

राज्य में 67,000 से अधिक स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी करीब 5 लाख महिलाएं सक्रिय हैं। इनसे जुड़े 7413 ग्राम संगठन व 519 क्लस्टर संगठन पहले से काम भी कर रहे हैं। अब इन्हीं से जुड़ी 3-3 महिलाओं को आपदा सखी के रूप में भी चुना गया है।

जल्द मिलेगा प्रशिक्षण व मानदेय

आपदा सखियों को जिला स्तर पर प्रशिक्षण देने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी। उन्हें मास्टर ट्रेनर के रूप में तैयार कर गांवों में अन्य महिलाओं व स्कूली बच्चों को प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी भी दी जाएगी। इसके साथ ही जिलाधिकारियों के स्तर पर इनके लिए मानदेय की व्यवस्था भी की जा रही है।

“आपदा सखी योजना ग्रामीण स्तर पर आपदा प्रबंधन को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम भी है। ये महिलाएं समुदाय को प्रशिक्षित करने के साथ-साथ प्रशासनिक तंत्र का अहम हिस्सा भी बनेंगी।”
विनोद कुमार सुमन, सचिव, आपदा प्रबंधन विभाग