धामी सरकार जलस्रोतों पुनर्जीवन और जल जीवन मिशन के लिए केंद्रीय बजट से विशेष सहायता की उम्मीद

"प्रदेश सरकार केंद्रीय बजट से पर्वतीय जलस्रोतों के पुनर्जीवन और जल जीवन मिशन के लिए विशेष सहायता की उम्मीद में"

उत्तराखंड की धामी सरकार राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में परंपरागत जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने और सूख चुके झरनों को नया जीवन देने के लिए केंद्रीय बजट से विशेष अनुदान की उम्मीद कर रही है। इसके लिए राज्य ने स्प्रिंग शेड एंड रिवर रिजुवेनेशन प्राधिकरण (सारा) का गठन किया है, जो जल संरक्षण के अभियान को धरातल पर लाने के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता की आवश्यकता महसूस कर रहा है।

1 फरवरी को पेश होने वाले केंद्रीय बजट में सारा के तहत हजारों पारंपरिक जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए बड़ी धनराशि की जरूरत है। हालांकि राज्य सरकार ने अपने वित्तीय संसाधनों से जलस्रोतों के पुनर्निर्माण की शुरुआत की है, लेकिन सीमित संसाधनों के कारण इन प्रयासों को और बढ़ाने के लिए अधिक धनराशि की आवश्यकता है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट पूर्व बैठक में राज्य सरकार ने सारा के लिए विशेष केंद्रीय सहायता देने का अनुरोध किया था, और अब सरकार की निगाह केंद्रीय बजट पर है। इसके अलावा, जल जीवन मिशन की समयसीमा 31 मार्च को समाप्त हो रही है, लेकिन राज्य में कई योजनाएं अभी भी प्रगति पर हैं। राज्य सरकार जल जीवन मिशन की समयसीमा को बढ़ाने की भी मांग कर रही है ताकि अधिक योजनाओं को समय पर पूरा किया जा सके।

पंपिंग योजनाओं के रखरखाव और संचालन के लिए केंद्रीय सहायता की मांग भी की जा रही है। राज्य में अब ग्रेविटी स्कीम्स की तुलना में पंपिंग स्कीम्स पर निर्भरता बढ़ गई है, जिसके कारण योजना का संचालन महंगा हो गया है। राज्य सरकार चाहती है कि पीएमजीएसवाई के तहत जल जीवन मिशन की योजनाओं को भी केंद्र पोषित किया जाए।

इसके अलावा, प्रदेश में भूजल स्तर में गिरावट की गंभीर समस्या से निपटने के लिए 2500 करोड़ रुपये की सौंग बांध परियोजना पर काम चल रहा है। हालांकि, परियोजना के लिए वित्तीय आवंटन सीमित है, और राज्य सरकार इसे केंद्र पोषित योजना में शामिल करने का अनुरोध कर चुकी है।

राज्य सरकार जल संरक्षण को अपनी प्राथमिकता मानते हुए केंद्रीय वित्तीय सहयोग की अपेक्षा कर रही है। वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने कहा, “हमने जल संरक्षण की दिशा में जो प्रयास किए हैं, उसमें हम केंद्रीय वित्तीय सहयोग की अपेक्षा कर रहे हैं।”