बागेश्वर की DM से जवाब तलब, इस मामले में याचिकाकर्ता की ये थीं शिकायतें; पीठ के ये है आदेश
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की प्रधान पीठ ने बागेश्वर में भूकंप की दृष्टि से जोन-5 में शामिल बागेश्वर में खान विभाग व डीएम की ओर से कई खनन पट्टे जारी करने, अवैध खड़िया खनन, नदियों का प्रवाह मोड़ने संबंधी याचिका पर भी सुनवाई की। पीठ ने सदस्य सचिव केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), सदस्य सचिव उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूकेपीसीबी), जिला खनन अधिकारी बागेश्वर, जिला मजिस्ट्रेट बागेश्वर, पर्यावरण और वन मंत्रालय उत्तर क्षेत्र कार्यालय (आरओ, एमओईएफ एंड सीसी) चंडीगढ़ को प्रतिवादी भी बनाया है। पीठ ने इस मामले में उक्त सभी से जवाब भी तलब किया है।
गोपाल वनवासी निवासी ग्राम रीठा, तहसील गरुड़ ( बागेश्वर) की याचिका पर 31 मई को एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और न्यायिक सदस्य डॉ. सेंथिल वेल की पीठ ने सुनवाई की। मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर 2024 को ही होगी।
पीठ के ये है आदेश
- आरओ, एमओईएफ एंड सीसी चंडीगढ़ साइट निरीक्षण कर सही स्थिति का पता भी लगाए।
- सुनवाई की अगली तारीख से कम से कम एक सप्ताह पहले एक व्यापक रिपोर्ट भी प्रस्तुत करे
- सुनवाई की अगली तारीख से कम से कम एक सप्ताह पहले अपना जवाब भी दाखिल करने के लिए उत्तरदाताओं को नोटिस भी जारी किया जाए।
- याचिकाकर्ता सुनवाई की अगली तारीख से कम से कम एक सप्ताह पहले हलफनामा भी दाखिल करे।
याचिकाकर्ता की ये थीं शिकायतें
- भूकंप संभावित क्षेत्र होने के चलते जोन-5 में होने के बावजूद खनन विभाग बागेश्वर व जिला मजिस्ट्रेट बागेश्वर ने कई खड़िया (चूना पत्थर) खनन पट्टे भी जारी किए हैं।
- पट्टाधारकों ने अस्थायी मोटर मार्गों का निर्माण कर सरयू दी की सहायक नदी पुंगर के प्रवाह को मोड़ दिया है।
- खदानों से निकलने वाली गंदगी को पुंगर में फेंककर प्रदूषित भी किया जा रहा है।
- खनन पट्टाधारक नियमों का पालन ही नहीं कर रहे हैं और हरित पट्टी विकसित नहीं की है।
- भारी मशीनों का इस्तेमाल कर अवैध खनन भी किया जा रहा है।