उत्तराखंड में बाढ़ और जलभराव के 305 संवेदनशील स्थल चिन्हित, ऊधमसिंह नगर सबसे अधिक प्रभावित

सरकार ने कसी कमर, मॉक ड्रिल और तैयारी योजनाएं तेज; मानसून से पहले सतर्कता बढ़ाई गई

देहरादून। मानसून की दस्तक के साथ ही उत्तराखंड में बाढ़ व जलभराव की आशंका एक बार फिर से गहरा गई है। राज्य सरकार ने इस बार पहले से सतर्कता बरतते हुए 305 संवेदनशील स्थलों की पहचान भी की है, जहां बाढ़ या जलभराव की स्थिति उत्पन्न भी हो सकती है। इनमें सबसे अधिक 81 स्थान ऊधमसिंह नगर जिले में ही चिन्हित किए गए हैं, जो राज्य का सबसे अधिक प्रभावित जिला भी माना जा रहा है।

जलभराव से निपटने को सरकार गंभीर

आपदा प्रबंधन विभाग व सिंचाई विभाग ने संयुक्त रूप से इन संवेदनशील स्थानों की सूची भी तैयार की है। जलभराव व बाढ़ की समस्या से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए सरकारी महकमे तैयारी में भी जुटे हैं। इसके तहत मॉक ड्रिल भी आयोजित की गई है ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित व समन्वित प्रतिक्रिया भी दी जा सके।

जिलावार संवेदनशील स्थानों की संख्या:

  • ऊधमसिंह नगर: 81
  • देहरादून: 47
  • हरिद्वार: 42
  • पौड़ी: 26
  • उत्तरकाशी: 25
  • नैनीताल: 20
  • चमोली, चंपावत, पिथौरागढ़: 10-10
  • रुद्रप्रयाग: 8
  • बागेश्वर: 5
  • अल्मोड़ा: 4

बीते वर्ष भारी नुकसान

गौरतलब है कि पिछले साल ऊधमसिंह नगर में बाढ़ से व्यापक नुकसान भी हुआ था। कई गांवों में पानी घुस गया था और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भी पहुंचाना पड़ा था। इसी अनुभव से सबक लेते हुए इस बार सरकारी विभागों ने अग्रिम तैयारियां भी शुरू कर दी हैं।

सिंचाई मंत्री ने की समीक्षा

कुछ दिन पहले सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक भी हुई थी, जिसमें अधिकारियों ने बाढ़ व जलभराव से निपटने की तैयारियों की जानकारी भी दी। मंत्री ने निर्देश दिए कि सभी जिलों में जलनिकासी व्यवस्था, जलभराव वाले क्षेत्रों में विशेष निगरानी व राहत सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित भी की जाए।

तैयारी ही बचाव का आधार

सरकारी प्रयासों के साथ स्थानीय प्रशासन व जनता की सहभागिता भी इन आपदाओं से निपटने में अहम भूमिका भी निभाएगी। बाढ़ व जलभराव को लेकर पहले से चेतावनी व रणनीति होने से संभावित नुकसान को काफी हद तक रोका भी जा सकता है।

राज्य सरकार का कहना है कि मानसून के इस चुनौतीपूर्ण मौसम में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी व प्रभावित क्षेत्रों में समय पर राहत पहुंचाना प्राथमिकता भी होगी।