बीजेपी के लिए आसान नहीं हरिद्वार का चुनावी सफ़र, चुनाव प्रबंधन की भी कड़ी परीक्षा

बीजेपी प्रदेश में बेशक पांचों लोकसभा सीटों पर अपनी जीत का दावा भी कर रही है, लेकिन हरिद्वार का चुनावी समर उसके लिए उतना भी आसान नहीं माना जा रहा। इस संसदीय सीट के चुनावी समीकरण उतने सरल भी नहीं है, जितने बीजेपी मानकर चल रही है। सियासी जानकारों का मानना है कि जातीय समीकरणों के लिहाज से इस सीट पर बीजेपी का चुनाव प्रबंधन कठिन चुनौतियों से होकर ही गुजरेगा।

 

इन्हीं चुनौतियों के कारण पार्टी को इस सीट पर जिताऊ प्रत्याशी की तलाश के लिए तगड़ी मशक्कत भी करनी पड़ रही है। इस सीट पर पार्टी के चुनाव और बूथ प्रबंधन की भी परीक्षा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में हारी 23 विधानसभा सीटों में 7 अकेले हरिद्वार जिले से ही हैं। इनमें भगवानपुर, झबरेड़ा, ज्वालापुर, हरिद्वार ग्रामीण और पिरान कलियर सीट कांग्रेस के पास है, मंगलौर व लक्सर में बसपा और खानपुर निर्दलीय ने भी जीती थी।

 

हरिद्वार जिले में बीजेपी 11 में से सिर्फ 3 सीटों पर है। जबकि 2017 के चुनाव में बीजेपी ने 11 में से 8 सीटें जीतीं थी। यानी 2019 के चुनाव में बीजेपी हरिद्वार जिले में राजनीतिक तौर पर अधिक मजबूत थी। लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव के लिहाज से जिले में राजनीतिक रूप से वह उतनी भी सशक्त नहीं है। यही वजह है कि केंद्रीय नेतृत्व को इस सीट पर प्रत्याशी चयन को लेकर काफी सोच-विचार भी करना पड़ रहा है।

 

जानकारों के मुताबिक, हरिद्वार लोस से लगातार 2 बार सांसद रहे डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के अलावा पार्टी दूसरे दावेदारों के नामों पर भी गंभीरता से विचार को कर रही है। इस सीट पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, पूर्व कैबिनेट मंत्री और विधायक मदन कौशिक, पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद के अलावा 2 बड़े संत की भी दावेदार बताए जा रहे हैं। लेकिन पार्टी को संसदीय सीट पर जातीय समीकरणों के हिसाब से जिताऊ चेहरे की भी तलाश है।

 

2022 के विधानसभा चुनाव में 11 में से 5 सीटें गंवाने के बाद प्रदेश संगठन हरिद्वार जिले में चुनाव प्रबंधन में भी जुट गया था। पार्टी ने हारी हुई 23 विधानसभा सीटों पर बूथ प्रबंधन को लेकर विशेष अभियान भी चलाया। सीएम पुष्कर सिंह धामी व प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट इन हारी सीटों में जाकर लाभार्थी सम्मेलन के जरिये पार्टी के पक्ष में वातावरण बनाने की कोशिश को कर रहे हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव में ही पार्टी के चुनाव व बूथ प्रबंधन की असल परीक्षा भी होगी। मिसाल के तौर पर बीजेपी भगवानपुर, मंगलौर, खानपुर, ज्वालापुर व हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्र में 537 बूथों में भी पीछे रही। पार्टी ने इन बूथों को मजबूत करने के लिए खास योजना भी बनाई। इनमें अपने विधायकों व सांसदों और सरकार के मंत्रियों को भी भेजा।

 

पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी हरिद्वार और गढ़वाल लोस सीट पर 10 मार्च तक उम्मीदवार को घोषित कर सकती है। इस बीच केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश नेतृत्व से फीड बैक भी लिया है। साथ ही एक एजेंसी भी दावेदारों का दमखम को टटोल रही है।

 

विस हारे जीते
भगवानपुर 143 10
मंगलौर 94 38
खानपुर 126 51
ज्वालापुर 98 50
हरिद्वार ग्रामीण 76 87